काशी -आचार्य हिमांशु शुक्ल ने कहा कि बांग्लादेश के अंदर जिस प्रकार हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है,वो गलत है। हिंदुओं की सरेआम हत्या की जा रही है।वहां पर गिरफ्तार किए गए संत के लिए जो वकील खड़े हुए,उन वकीलों के घरों पर हमला किया गया।परिणाम यह निकला कि उसमें से दो-तीन वकील कोमा में हैं और एक भी वकील कोर्ट के अंदर खड़ा नहीं हुआ।दो महीने की अगली डेट कोर्ट के अंदर बढ़ा दी गई है।इस अत्याचार को तुरंत रोका जाना चाहिए।बांग्लादेश का वो हिस्सा जहां हिंदू रहते हैं उस हिस्से को काटकर अलग देश बनाया जाना चाहिए जिससे वे सुरक्षित रहे।वर्तमान में हिंदुओं के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया जा रहा है।अराजक तत्व हिंदू मंदिरों को भी निशाना बना रहे हैं।मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने करीब सत्ताइस जिलों में हिंदुओं के घरों के साथ ही उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है।इतना ही नहीं अराजक तत्व उनका कीमती सामान भी लूट ले गए।वहां पर मंदिरों और गुरुद्वारों में तोडफ़ोड़ की जा रही है।शेख हसीना के सत्ता और देश छोडने के बाद से वहां हालात बदतर हो गए हैं।बांग्लादेश राजनीतिक षड्यंत्र और अराजकता के दौर से गुजर रहा है,जिससे वहां रहने वाले निर्दोष अल्पसंख्यक सनातनी हिंदू धर्मावलंबियों के साथ सिख, बौद्ध,जैन संप्रदाय एवं अन्य अल्पसंख्यकों के आस्था स्थलों एवं नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं।अब बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में काम करने वाले हिंदुओं,सिखों,बौद्धों व जैनियों से भी बलपूर्वक त्यागपत्र लिया जा रहा है।ऐसे में वहां का हिंदू एक अनाथ समाज की तरह हो गया है।बांग्लादेश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हम भारत सरकार से यह अपेक्षा करते हैं कि कूटनीतिक, राजनीतिक एवं संयुक्त राष्ट्र संघ,अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आदि संस्थानों पर दबाव बढ़ाकर समाधान के लिए कार्यवाही कराई जाए।भारत सरकार बांग्लादेश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए।जिसके लिए पूरा हिंदू समाज भारत सरकार के साथ अपने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पीछे चट्टान की तरह खड़ा है।संयुक्त राष्ट्र संघ,अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन हस्तक्षेप करे अगर वह हस्तक्षेप नहीं करता है तो भारत सरकार को शांति सेना उतारना चाहिए जैसे 1971 में उतरी थी वैसे ही अभी फिर से सेना उतारने की जरूरत है।जिससे हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोका जा सके।