गोरखपुर। रविवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धा और आस्था का उल्लास देखते ही बनता है। इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ द्वारा विशेष अनुष्ठान पूर्ण किए जाने के साथ गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, देवीपाटन शक्तिपीठ के महंत योगी मिथिलेशनाथ समेत सभी नाथ योगियों ने भी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को नाथपंथ की परंपरा के अनुसार उन्हें तिलक लगाया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरु पूर्णिमा के पवित्र पर्व पर मुख्यमंत्री ने रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर की शक्तिपीठ में भगवान भोलेनाथ का विधि विधान से रुद्राभिषेक किया रुद्राभिषेक पूर्ण होने पर उन्होंने देवाधिदेव महादेव शिव शंकर से चराचर जगत के कल्याण और सभी नागरिकों के सुखमय, समृद्धमय और शांतिमय जीवन की कामना की।
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व मुख्यमंत्री ने शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ का नाथपंथ की परंपरा के अनुसार विशिष्ट पूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ, दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ समेत नाथपंथ के सभी गुरुजन का भी पूजन-अर्चन कर श्रद्धा निवेदित की और लोक कल्याण के पथ पर मार्गदर्शन के लिए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की साथ ही गुरु पूर्णिमा पर गुरुजन को समर्पित रुद्राभिषेक कर देवाधिदेव महादेव से लोकमंगल की प्रार्थना की और गोवंश की सेवा कर उन्हें गुड़ खिलाया। गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा का विशेष अनुष्ठान तड़के ही प्रारंभ हो गया और सामूहिक आरती के साथ अनुष्ठान की पूर्णता हुई। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं।
यूं तो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी जब भी गोरखनाथ मंदिर में होते हैं, गुरु गोरखनाथ तथा नाथपंथ के गुरुजन का दर्शन-पूजन उनकी दिनचर्या का हिस्सा होता है। पर, गुरु पूर्णिमा का अवसर गोरखनाथ मंदिर में विशिष्ट पूजा का होता है। रविवार को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं सीएम योगी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महायोगी गोरखनाथ, मंदिर परिसर में मौजूद सभी देव विग्रहों और नाथपंथ के गुरुओं की प्रतिमाओं के समक्ष विधि विधान के साथ पूजन किया।
आनुष्ठानिक कार्यक्रमों के क्रम में उन्होंने सबसे पहले नाथपंथ के आदिगुरु भगवान गोरखनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनकी पूजा की। वह परिसर में मौजूद सभी देव-विग्रहों के पास पहुंचे और उनका पूजन किया। उसके बाद वह बारी-बारी से बाबा गंभीरनाथ, अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ समेत ब्रह्मलीन गुरुओं की समाधि पर गए। सभी का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन कर आशीर्वाद लिया