लखनऊ-तुलसी जयंती के पावन उपलक्ष्य में लखनऊ के दयाल बाग, अंसल सिटी में 10 से 18 अगस्त 2024 तक नौ दिवसीय श्रीरामकथा का भव्य आयोजन किया गया है।पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में चल रही इस कथा में पूज्यश्री ने कहा कि..
मानस का प्रारंभ माता पार्वती के प्रश्नों से होता जो उन्होंने भगवान भोलेनाथ से किया।बहुत जानकारी के बाद भी लोग उसे व्यक्त नही कर पाते हैं।भगवान गणेश और माता सरस्वती की कृपा के बिना बुद्धि और वाणी की प्राप्ति नही होती है और जिनपर हो जाती है वे जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त करते हैं।यही कारण है कि तुलसीदास जी ने मानस की रचना का आरंभ भगवान गणेश और माता सरस्वती की वंदना से किया है।मन की शांति के बिना जीवन शांत हो ही नही सकता।पूज्यश्री ने अपने कथा क्रम में उपस्थित जनमानस को संदेश देते हुए कहा, कि, मन की शांति के लिए अन्न और व्यवहार की शुद्धता अनिवार्य है।आजकल मात्र सुंदरकांड पढ़ने वालों को सलाह देते हुए पूज्यश्री ने सुंदरकांड पर अपने विचारों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि मानस के सातों कांडों में तुलसीदास जी द्वारा किये गए प्रबंधन को पढ़े और सुने बिना हमारी भक्ति और जीवन को सिद्धि कभी नही प्राप्त हो पाएगी, यह स्थिति वैसे ही होगी जैसे कि विद्यार्थी प्राथमिक कक्षा को छोड़कर महाविद्यालय में प्रवेश ले ले।अतः इसपर तर्क-वितर्क छोड़कर अपने मंगल के लिए सम्पूर्ण मानस का आश्रय लें। पूज्यश्री ने मानस महिमा का अद्भुत वर्णन अपने लोकप्रिय भजन.. जय-जय रामकथा जय श्रीराम कथा की प्रस्तुति से किया।पूज्यश्री ने गोस्वामी जी के श्रीरामचरितमानस को नवरसों से परिपूर्ण अद्वितीय बतलाते हुए कहा कि जीवन में समय के अनुसार जीवन व्यवहार केवल रामचरितमानस से ही सीखा जा सकता है।
संसार में हर किसी को प्रसन्न करने की चेष्ठा कभी नही करना चाहिए।सुख की कामना रखने वाला व्यक्ति सुख छिनने से सदैव डरता हैअतः ऐसे लोग सर्वकाल भय ग्रस्त ही रहते हैं। जानकारी के बिना बोलना सदैव हानिकारक होता है, इससे बचना चाहिए।कथा के मध्य संतशिरोमणि बाबा तुलसीदास जी की जयंती पर पूज्यश्री ने समस्त सनातन धर्मावलंबियों को मंगल बधाई देते हुए कहा कि बाबा तुलसी दास जी का अवतार ही सनातन स्वधर्म के संरक्षण के लिए हुआ था जिसको उन्होंने अपने तप -साधना से पूर्ण किया। तुलसीदास जी के द्वादश सद्ग्रन्थ हमारे धर्म और समाज के लिए रीढ़ की भांति उपयोगी हैं इसलिए हम बाबा तुलसी के सर्वकाल ऋणी रहेंगे।माँ की ममता, पिता की परवरिश और राजा का तप कहा नही जा सकता इसे केवल अनुभूति में लाया जा सकता है।श्रेष्ठ की सेवा, भगवान का स्मरण और कर्तव्य करके दैन्य भाव में उपस्थित रहना बहुत ही कठिन होता है इसका स्मरण रखना चाहिए क्योंकि यही धर्म, परमार्थ और प्रभु स्मरण ही सर्वकाल आपके सँघाती रहेंगे।यही यही लोक से परलोक तक की यात्रा में आपके साथ चलेंगे। इस नौ दिवसीय श्रीरामकथा गंगा में उमड़े जनमानस के बीच कथा के मुख्य यजमान उत्तरप्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री(स्वतंत विभाग) दयाशंकर सिंह,सह आयोजक राजेश सिंह दयाल के साथ प्रदेश के जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, भाजपा नेता प्रखर वक्ता एम. एल सी. एवं पूर्व जल संसाधन मंत्री डॉ महेन्द्रनाथ सिंह ने भी अवगाहन का लाभ प्राप्त किया।