गोरखपुर/मुंबई।फिल्मों की चकाचौंध से निकलकर जब कोई कलाकार सीधे जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ता दिखे, तो कहानी खास बन जाती है। रवि किशन की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है — सिनेमा से लेकर संसद और फिर जमीनी विकास तक का एक लंबा सफर, जिसे उन्होंने मेहनत और ईमानदारी से तय किया l
भोजपुरी से इंटरनेशनल सिनेमा तक का सफर रवि किशन ने अभिनय की शुरुआत भोजपुरी फिल्मों से की थी, लेकिन उन्होंने खुद को सिर्फ एक क्षेत्रीय अभिनेता तक सीमित नहीं रखा। हिंदी, तेलुगु, तमिल से लेकर अंतरराष्ट्रीय फिल्मों तक उन्होंने अपनी पहचान बनाई। अभिनय में उनकी पकड़ और अलग-अलग किरदारों को निभाने की क्षमता ने उन्हें खास बना दिया।
अब रवि किशन सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि संसद में भी नजर आते हैं और वो भी पूरे दमखम के साथ। संसद में उनकी सक्रियता, मुद्दों पर गहराई से बोलना और लगातार जनता की बात रखना, यह दिखाता है कि वे सिर्फ नाम के नेता नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने वाले जनप्रतिनिधि हैं।
इस जुलाई, रवि किशन एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर नजर आने वाले हैं। फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ में वे एक दमदार सरदार की भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म को वे अपने करियर का नया मोड़ मानते हैं। फिल्म 25 जुलाई को रिलीज हो रही है और दर्शकों में इसे लेकर काफी उत्साह है।
हाल ही में आई उनकी फिल्म ‘लापता लेडीज़’ भारत की ओर से ऑस्कर 2025 की आधिकारिक प्रविष्टि बन चुकी है। इस फिल्म में रवि किशन का रोल गहराई और संवेदनशीलता से भरा हुआ है। सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालने वाली इस फिल्म को खूब सराहना मिली है।
‘सांसद रत्न सम्मान’ से सम्मानित होंगे राजनीति में रवि किशन की मेहनत रंग ला रही है। संसद में लगातार काम करने और मुद्दों पर सक्रिय रहने के कारण उन्हें 26 जुलाई को ‘सांसद रत्न सम्मान’ से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उन सांसदों को मिलता है जो जनता के मुद्दों को गंभीरता से उठाते हैं और संसद में अपनी उपस्थिति और योगदान से फर्क लाते हैं।
वेब सीरीज की दुनिया में भी रवि किशन ने खास पहचान बनाई है। ‘रंगबाज़’, ‘बिच्छू का खेल’, ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ और ‘द व्हाइट टाइगर’ जैसे प्रोजेक्ट्स में उनके किरदार अलग और चुनौतीपूर्ण रहे हैं। उनका डायलॉग “कहानी में ट्विस्ट है सरकार!” आज भी लोगों की जुबां पर है।
गोरखपुर में विकास की पहल सांसद बनने के बाद उन्होंने गोरखपुर के विकास को प्राथमिकता दी। रेलवे सुविधाओं का सुधार, युवाओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर्स और जल निकासी की योजनाओं पर उनका ध्यान रहा है। साथ ही, वे पूर्वांचल में एक फिल्म सिटी बनाने की कोशिश में भी जुटे हैं, जिससे रोजगार और पहचान दोनों मिले
एक सोच बन चुके हैं रवि किशन रवि किशन की कहानी सिर्फ ग्लैमर की नहीं, बल्कि मेहनत, बदलाव और समाज से जुड़े रहने की मिसाल है। एक छोटे गांव से निकला लड़का, जो आज सिनेमा और संसद दोनों जगह आवाज बनकर खड़ा है, वह आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है।