खुटहन (जौनपुर) । दरबारे कादरिया गौसपीर दरगाह का फाटक मंगलवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर खुलते ही सालाना उर्स(मेला) शुरू हो गया। फाटक खुलने के बाद दूरदराज से पहुचे हजारों जायरीनों ने दरगाह के भीतर मत्था टेका। यह उर्स प्रत्येक वर्ष रबी उस्मानी की ग्यारवें से शुरू होकर सत्रह दिनों तक चलता है। यहां अपने जिले, प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न प्रान्तों से हजारों जायरीन मत्था टेकने आते है।
दरगाह समिति के मुतवल्ली मोहम्मद मंसूर शाह ने बताया कि 15 नवम्बर को 9 बजे सुबह कलश चढ़ा था। मंगलवार की रात्रि में फाटक खुलने का बाद उर्स शुरू हो गया। जो कि 23 नवंबर तक चलेगा।
जनपद मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर पश्चिम दिशा में गौसपुर गॉव स्थित गौसपीर दरगाह के विषय मे कहावत है कि इजरत शाह मोहम्मद उमर तथा इजारत शाह नगीना दोनों भाई लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व इजारत के लिए बगदाद शरीफ गये थे। जहां से उन दोनों ने एक ईंट लाया था। गौसपुर में रात्रि विश्राम के समय स्वप्न में बरसात हुई कि ईंट को इसी जगह एक रौजा की तामीर करके नस्ब कर दिया जाय। ताकि इस जमीन पर भी बगदाद शरीफ की तरह गौसपाक फैज का चश्मा जारी रहे। यही पाक ईंट दरगाह की गुम्बद के भीतर छोटे से कुब्बे में नस्ब है। इसी कुब्बे का फाटक रबी उस्मानी की ग्यारवें की रात जायरीनों को मत्था टेकने के लिए खोला जाता है।
पूर्वांचल युग चैनल से मण्डल हेड गिरजाशंकर निषाद।