गोरखपुर, 17 अगस्त। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर सहित पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अब उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की न तो कोई कमी है और न ही इलाज के लिए पैसे की। आम नागरिकों को सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना है। अगर किसी का खर्च इन योजनाओं से अधिक हो जाता है तो मुख्यमंत्री राहत कोष और जनप्रतिनिधियों की निधि से पूरी मदद दी जाएगी।
मुख्यमंत्री रविवार को गोरखपुर में रीजेंसी हॉस्पिटल के लोकार्पण अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने हॉस्पिटल का निरीक्षण किया और ‘रीजेंसी माई केयर’ एप को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि कभी गरीबों के लिए महंगी स्वास्थ्य सुविधाएं दुर्लभ थीं, लेकिन अब वे सहज रूप से उपलब्ध हो रही हैं। प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ लोगों को आयुष्मान योजना के तहत पांच लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज मिल रहा है। इसके अलावा जिनके पास यह सुविधा नहीं है, उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद दी जा रही है। विधायकों को भी अपनी निधि से इलाज हेतु पच्चीस लाख रुपये तक की सहायता देने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि सिर्फ पिछले एक वर्ष में ही मुख्यमंत्री राहत कोष से 1100 करोड़ रुपये इलाज के लिए दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि अब सरकार का उद्देश्य हर नागरिक तक बिना भेदभाव सभी सुविधाएं पहुंचाना है। इलाज के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से भी मदद उपलब्ध है। पिछले ग्यारह वर्षों में हुए विकास से जनता की आर्थिक क्षमता भी बढ़ी है, अब लोगों के पास खर्च करने की क्षमता है, उन्हें केवल सुविधाओं की आवश्यकता है।
सीएम योगी ने कहा कि गोरखपुर में ढाई सौ बेड का अत्याधुनिक मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शुरू होना पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक ही छत के नीचे मरीजों को सभी सुविधाएं मिलेंगी। यहां 80 बेड वाला आईसीयू भी है। उन्होंने कहा कि कानपुर में रीजेंसी हॉस्पिटल चिकित्सा सेवाओं का बैकबोन है और अब इसकी श्रृंखला गोरखपुर से भी जुड़ गई है। उन्होंने इस अस्पताल की स्थापना के लिए स्थानीय साझीदार तनमय मोदी की सराहना की और कहा कि यह अस्पताल पांच करोड़ लोगों के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दस साल पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद खराब थी। केवल बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही बड़ा अस्पताल था और वह भी संसाधनों के अभाव में जूझ रहा था। लेकिन अब एम्स गोरखपुर सहित कई मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं। बस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, अयोध्या, जौनपुर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, प्रतापगढ़, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, चंदौली, मिर्जापुर सहित कई जिलों में मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं। बलिया में भी मेडिकल कॉलेज जल्द शुरू होगा। प्रदेश में स्वास्थ्य केंद्रों की लंबी श्रृंखला खड़ी हो चुकी है। वाराणसी में टाटा कैंसर अस्पताल के सहयोग से बीएचयू में कैंसर ट्रीटमेंट का बेहतरीन सेंटर भी बन चुका है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा जरूरी है। गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय ने दो दशक पहले आईसीयू और डायलिसिस जैसी सुविधाएं देकर एक मॉडल प्रस्तुत किया था। अब समय है कि उस मॉडल को और बेहतर करके आगे बढ़ाया जाए।
इस अवसर पर रीजेंसी हॉस्पिटल समूह के चेयरमैन और एमडी डॉ. अतुल कपूर ने बताया कि इस हॉस्पिटल के संचालन से स्थानीय स्तर पर आठ से नौ सौ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। कार्यक्रम को सांसद रविकिशन शुक्ल, विधायक महेंद्रपाल सिंह समेत कई जनप्रतिनिधियों ने संबोधित किया।