लेखक-आदेश मिश्र(असि.प्रोफेसर) भारत जी-20 जैसे महत्वपूर्ण संगठन के 18 वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है तो यह भारतीय इतिहास के लिए महान गौरव और ऐतिहासिक वक्त सिद्ध होने जा रहा है।जिस शान-शौकत और धूमधाम से भारत तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहा है वह भारत के अतिथि देवो भव की विशिष्ट भावना का अन्यतम परिचायक है।यह सच है कि ज्यादा ताकत अधिक जिम्मेदारी भी ले आती है ऐसे में गरीब और अल्पविकसित देशों की आवाज को प्रमुखता से उठाते हुए भारत जी 20 के समस्त एजेंडा को निश्चित कर रहा है।इस सम्मेलन की थीम वसुधैव कुटुम्बकम् एक पृथ्वी,एक परिवार, एक भविष्य बनाया गया है।आज के वैश्विक दौर में सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक,पर्यावरणीय आदि सभी पक्षों से समस्त देश एक दूसरे से प्रभावित होते हैं।आखिर जी 20 संगठन की बुनियाद के पीछे आर्थिक कारक ही था।जुलाई 1997 में थाईलैंड से शुरू वित्तीय संकट प्रभाव समस्त पूर्वी एशिया के देशों पर पड़ा।विदेशी निवेश के लालच में शुरू किये गए मुद्रा-अवमूल्यन के होड़ में सभी देश लग गए,जिससे समस्त एशिया
महाद्वीप ही वित्तीय संकट से प्रभावित हुआ,अतः अपने वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए जी 7 के विकसित देशों के प्रस्ताव से जी 20 की स्थापना 1999 में की गई।जिनमें 19 देश और एक यूरोपीय यूनियन शामिल हुआ।भारत इस संगठन का संस्थापक सदस्य रहा है। इसका लक्ष्य वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना था।2008 तक इस संगठन की कार्यप्रणाली सामान्य ही रही इसमें सदस्य देशो के वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर की बैठक होती थी।2008 में जब अमेरिका में सब-प्राइम संकट के कारण लेहमैन ब्रदर्स कम्पनी ढ़हने लगी और संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था चरमराई,तो पूंजीवादी देश अवसाद में पड़कर इस संगठन के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की औपचारिक रूप से शुरुआत कि।इसका प्रथम शिखर सम्मेलन दिसम्बर 2008 में वाशिंगटन डी.सी. में सम्पन्न हुआ। इस संगठन में दुनिया के दो तिहाई आबादी,वैश्विक जीडीपी का 85 प्रतिशत,वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत समाहित है।इन सबके सामूहिक योगदान से अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।वर्तमान समय में रूस-यूक्रेन युद्ध,जलवायु परिवर्तन,मानव तस्करी,आतंकवाद जैसी समस्या समस्त मानव समुदाय को प्रभावित कर रहा है अतः इन ज्वलंत मुद्दों पर इस शिखर सम्मेलन में चर्चा हो सकती है।1 दिसंबर 2022 से बाली में इस संगठन के अध्यक्षता मिलने के बाद से भारत इस सम्मेलन की तैयारी में लग गया था,यही कारण है कि भारत के 60 से अधिक शहरों में 200 बैठकें कर सांस्कृतिक,पर्यटन,स्वास्थ्य,पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श किया गया,इनमें 13 बैठकें तो मंत्री स्तरीय भी हुईं।जम्मू कश्मीर राज्य में जहां गत कई वर्षों से उग्रवाद,पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ हावी था,वहां जी-20 की पर्यटन से संबंधित एक सफल बैठक करवाकर भारत ने यह संकेत देना चाहा कि अनुच्छेद 370 हटाना जम्मू कश्मीर के लिए कितना लाभदायक रहा।
भारत इस शिखर सम्मेलन में गरीब और अल्प विकसित देशों से संबंधित मुद्दों का आवाज बना है,जहां इस संगठन की बुनियाद ही विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं की सुरक्षा के लिए रखा गया था,वहीं भारत ने ग्लोबल साउथ की समस्याओं को अपने एजेंडे में रखकर जय जगत की संकल्पना को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है।यही कारण है कि गत एक वर्ष से जी-20 के एजेण्डा को निर्धारित करते समय इन ग्लोबल साउथ के देशों से जलवायु परिवर्तन,विश्व व्यापार में भागीदारी,विश्व स्वास्थ्य,नवीकरणीय ऊर्जा,जैसे मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श किया गया।इससे जी-20 संगठन को अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।इनके हितों की रक्षा के लिए भारत ने जलवायु न्याय की धारणा का समर्थन किया है।पर्यावरणीय समस्याओं से निजात पाने के लिए भारत ने LiFe लाइफ़स्टाइल फॉर एनवायरमेंट अर्थात् पर्यावरण के अनुसार जीवन शैली की धारणा को प्रस्तुत किया है।इसका तात्पर्य प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जीवन जीना है।इन तमाम मुद्दों को लेकर एक साझा घोषणा पत्र जारी करने के लिए भी भारत प्रयासरत है।एक नई सकारात्मक आशा के साथ भारत इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।हम देशवासी भी भारत के परचम को बुलंदियों पर देखने को आतुर हैं।