नई दिल्ली।गोरखपुर/ लोकसभा के शून्यकाल में मंगलवार को गोरखपुर से सांसद रवि किशन शुक्ला ने एक बेहद ज़मीनी और जनसरोकार से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देशभर के ढाबों, होटलों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा, मूल्य और गुणवत्ता को लेकर कोई मानक तय नहीं है, जिससे करोड़ों उपभोक्ताओं को रोज़ भ्रम और असमानता का सामना करना पड़ता है।
रवि किशन ने अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह एक जनहित का गंभीर मुद्दा है, जिस पर केंद्र सरकार को शीघ्र कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत जैसे बड़े देश में लाखों फूड सर्विंग प्रतिष्ठान हैं, जहां हर दिन करोड़ों लोग भोजन करते हैं, लेकिन इन जगहों पर ग्राहक को केवल मूल्य पता होता है — यह नहीं बताया जाता कि उस मूल्य में उसे कितनी मात्रा में भोजन मिलेगा।
सांसद ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक ही दाल की कीमत किसी ढाबे में ₹120 है, तो किसी पांच सितारा होटल में वही दाल ₹1200 में परोसी जाती है। लेकिन दोनों ही जगह मेन्यू कार्ड में मात्रा का कोई उल्लेख नहीं होता। यह स्थिति उपभोक्ता को न सिर्फ भ्रमित करती है, बल्कि कई बार भोजन की बर्बादी या कमी का कारण भी बनती है।
रवि किशन ने मांग की कि सरकार एक ऐसा मानकीकरण लागू करे, जिसमें प्रत्येक रेस्टोरेंट, होटल या ढाबा अपने मेन्यू कार्ड में हर व्यंजन की सटीक मात्रा अंकित करे। साथ ही, भोजन में इस्तेमाल होने वाले कुकिंग मीडियम (जैसे सरसों तेल, रिफाइंड, देसी घी आदि) की जानकारी भी स्पष्ट रूप से दी जाए, ताकि ग्राहक को अपने स्वास्थ्य और स्वाद के अनुसार निर्णय लेने का अधिकार मिल सके।
उन्होंने कहा कि जिस तरह बिस्कुट, ब्रेड, दूध जैसे पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स पर ‘नेट क्वांटिटी’ और सामग्री का उल्लेख अनिवार्य है, उसी तरह रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले व्यंजनों पर भी यह नियम लागू होना चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ता ठगा महसूस नहीं करेगा।
रवि किशन ने इस पूरे फूड सेक्टर को “मानकों से मुक्त और नियंत्रणहीन बाजार” बताते हुए कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि इतना बड़ा व्यवसाय बिना किसी स्पष्ट नियम-कानून के चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर क्षेत्र में सुधार की मिसाल कायम की है, अब यह फूड सर्विंग व्यवसाय भी सुधार की दिशा में आगे बढ़े।
अंत में उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह देश भर के सभी होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट्स के लिए ऐसा कानूनी ढांचा तैयार करे, जिसमें कीमत, गुणवत्ता और मात्रा तीनों बिंदुओं पर स्पष्टता और उपभोक्ता के अधिकार की रक्षा सुनिश्चित हो।