तुलसी कुमार की रिपोर्ट
गोरखपुर। गुलरिहा थाना क्षेत्र के जंगल डुमरी नं02 में स्थित प्राचीन बामन्त देवी का मंदिर क्षेत्र के लोगो के लिये आस्था का वरदान है। चैत्र रामनवमी के सप्तमी से लगता है बड़ा मेला जिसकी तैयारी नवरात्र के प्रथम दिन से ही प्रारम्भ हो जाती हैं।
कोरोना वैश्विक महामारी आ जाने के कारण दो साल मेला का आयोजन नहीं हो पाया
क्या है मान्यता
माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है। इसी मान्यता के चलते हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की जाती है। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है और अंग्रेज शासनकाल से ही यहां मेले का आयोजन होता आ रहा है।
क्या है मान्यता के पीछे की कहानी
कहा जाता है कि एक बार एक चरवाहे की यहां भैंस खो गई तो उसने बास स्थान के पास जाकर बामंत मां से प्रार्थना की तो उसकी भैंसे मिल गई। इसके बाद चरवाहे ने मां की शक्ति पर विश्वास ना करते हुए लाठी से कपोले फूटने की बात कही। आश्चर्यजनक रुप से लाठी से भी कोपले फूट गई। इसके बाद चरवाहे की मौत हो गई और तभी से मां बामंत देवी के बास स्थान पर मेले का आयोजन किया जाता है।