प्रयागराज। प्रयागराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को परेड ग्राउण्ड, प्रयागराज में आयोजित नारी की शक्ति-देश की शक्ति कार्यक्रम में बी0सी0 सखी एवं पुष्टाहार उत्पादन की ईकाईयों से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं तथा कन्या सुमंगला योजना की लाभार्थी बालिकाओं से संवाद कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
तत्पश्चात प्रधानमंत्री द्वारा बटन दबाकर एक लाख 60 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता के लिए रूपये एक हजार करोड़ धनराशि का आॅनलाइन हस्तातंरण एवं प्रदेश के 43 जनपदों के 202 विकास खण्डों में टेक होम राशन प्लांटों का शिलान्यास के साथ ही मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजनान्तर्गत एक लाख एक हजार नवीन लाभार्थिंयों के खातों में रूपयें 20 करोड़ धनराशि का आॅनलाइन हस्तांतरण किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी की सामर्थ कोे बढ़ाने वाली एवं नारी शक्ति की प्रतीक माताओं एवं बहनों को मेरा प्रणाम। उन्होंने कहा कि माँ गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पावन तट पे बसा प्रयागराज के धरती के, हम शीश झुकाय के प्रणाम करत हई। ई उ धरा ह, जहां धर्म, ज्ञान और न्याय की त्रिवेणी बहत ह। तीर्थन के तीर्थ, प्रयागराज में आइके, हमेशा ही एक अलगैय पवित्रता और ऊर्जा का अहसास होत है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष फरवरी में हम कुम्भ मा ई पवित्र धरती पर आवा रहेन, तब संगम में डुबकी लगायके अलौकिक आनंद के अनुभव प्राप्त किहे रहे। उन्होंने तीर्थराज प्रयाग की ऐसी पावन भूमि को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि आज हिंदी साहित्य जगत के सर्वमान्य आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की पुण्य तिथि भी है। प्रयागराज से साहित्य की जो सरस्वती बही, द्विवेदी जी लंबे समय तक उसके संपादक भी रहे, उन्होंने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मा0 प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज हजारों सालों से हमारी मातृशक्ति की प्रतीक माँ गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की धरती रही है। आज ये तीर्थ नगरी नारी-शक्ति के इतने अद्भुत संगम की भी साक्षी बनी है। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आप सभी अपना स्नेह देने, अपना आशीर्वाद देने आई हैं। उन्होंने कहा कि वे मंच पर आने से पहले बैंकिंग सखियों से, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बहनों से और कन्या सुमंगला योजना की लाभार्थी बेटियों से बात की। उन्होंने कहा कि जो प्रत्यक्ष है, जो सामने है, उसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती। यूपी में विकास के लिए, महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए जो काम हुआ है, वो पूरा देश देख रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत एक लाख से ज्यादा लाभार्थी बेटियों के खातों में करोड़ों रुपए ट्रान्सफर करने का सौभाग्य मिला। ये योजना गाँव-गरीब के लिए, बेटियों के लिए भरोसे का बहुत बड़ा माध्यम बन रही है। यूपी ने बैंक सखी का भी जो अभियान शुरू किया है, वो महिलाओं को रोजगार के अवसरों के साथ ही उनके जीवन में भी बड़े बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार से अलग अलग योजनाओं का जो पैसा सीधे डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए खाते में आता है, उन पैसों को निकालने के लिए अब बैंक नहीं जाना पड़ता, बैंक सखी की मदद से ये पैसा गाँव में, घर पर ही मिल जाया करता है, यानी बैंक सखी बैंक को गाँव तक लेकर आ गई हैं और जो लोग सोच रहे होंगे कि ये तो छोटा सा काम है, उन्हें बताना चाहता हूं कि बैंक सखियों का काम कितना बड़ा है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने बैंक सखियों के ऊपर ऐसे करीब 75 हजार करोड़ के लेन-देन की जिम्मेदारी सौंपी है। 75 हजार करोड़ रुपये का कारोबार गाँव में रहने वाली बहने एवं बेटियाँ कर रही हैं। जितना लेन-देन गाँव में होगा, उतनी ही उनकी आमदनी भी होगी। इनमें से ज्यादातर बैंक सखियाँ वे बहनें हैं, जिनके कुछ साल पहले तक खुद के बैंक खाते भी नहीं थे, लेकिन आज इन महिलाओं के हाथों में डिजिटल बैंकिंग की ताकत आ गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी ने टेक होम राशन, जच्चा-बच्चा को दिये जाने वाले पोषण को तैयार करने की जिम्मेदारी भी महिलाओं के हाथों में सौंपी है। ये पोषण वाला राशन और आहार अब सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं खुद बनाएँगी। यह बहुत बड़ा काम है, सालाना हजारों करोड़ रुपए का काम है। उन्होंने कहा कि आज जिन 202 पुष्टाहार उत्पादन यूनिट्स का शिलान्यास हुआ है, उनसे सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की महिलाओं की आमदनी भी होगी, और गाँव के किसानों को भी बहुत बड़ा लाभ होगा। गाँव की महिलाएं अपनी फैक्टरी में पुष्टाहार बनाने के लिए फसल-अनाज गाँव से ही खरीदेंगी, यही तो सशक्तिकरण के वो प्रयास हैं, जिन्होंने यूपी की महिलाओं का जीवन बदलना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार, अलग-अलग सेक्टर्स में स्वयं सहायता समूहों को जो सहायता दे रही है, इसकी एक किस्त के तौर पर आज एक हजार करोड़ रुपए ट्रान्सफर करने का उन्हें सौभाग्य मिला है। यूपी के विकास की धारा अब किसी के रोकने से रुकने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने यूपी की महिलाओं को जो सुरक्षा एवं सम्मान दिया है तथा इसके साथ ही उनकी गरिमा बढ़ाई है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि माताओं-बहनों-बेटियों का जीवन पीढ़ियों को प्रभावित करने वाला, पीढ़ियों का निर्माण करने वाला जीवन होता है। एक बेटी का सामथ्र्य उसकी शिक्षा, उसका कौशल, सिर्फ परिवार ही नहीं समाज की, राष्ट्र की दिशा तय करती है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब उन्होंने मां भारती के बड़े सपनों, बड़ी आकांक्षाओं को साकार करने का बीड़ा उठाया तो सबसे पहले देश की बेटी के विश्वास को नई ऊर्जा देने का प्रयास शुरू किया, इसलिए बेटी के जन्म से लेकर जीवन के प्रत्येक चक्र, हर अवस्था में महिलाओं को सशक्त करने के लिए योजनाएं बनाईं गयी एवं अभियान संचालित किया गया। उन्होंने कहा कि बेटियां कोख में ही न मर जाएं, वें जन्म लें, इसके लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के माध्यम से समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया गया, जिसका परिणाम यह है कि देश के अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। प्रसव के बाद भी बिना चिंता के अपने बच्चे की शुरुआती देखरेख करते हुए मां अपना काम जारी रख सके, इसके लिए महिलाओं की छुट्टी को 6 महीने किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान गरीब परिवारों में मातृ स्वास्थ्य, चिंता का एक बहुत बड़ा कारण रहा है, इसलिए उन्होंने गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, अस्पतालों में डिलिवरी और गर्भावस्था के दौरान पोषण पर विशेष ध्यान दिया। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत गर्भावस्था के दौरान 5 हजार रुपए महिलाओं के बैंक खाते में जमा किए जाते हैं, ताकि वे उचित खान-पान पर ध्यान रख सकें। अभी तक 2 करोड़ से ज्यादा बहनों को लगभग 10 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बेटियां ठीक से पढ़ाई कर सकें, उनको स्कूल बीच में न छोड़ना पड़े, इस पर भी लगातार काम किया गया है। स्कूलों में बेटियों के लिए अलग टॉयलेट बनाना हो या फिर सेनिटेरी पैड्स को गरीब से गरीब बेटियों के लिए सुलभ कराना हो, उनकी सरकार किसी भी काम में पीछे नहीं रही है। उन्होंने कहा कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत लगभग ढाई करोड़ बच्चियों के अकाउंट खोले गए हैं, ये पैसा बड़े होने पर उनके सपनों को पूरा करे, इसके लिए इस पर ब्याज दर भी ऊंची रखी गई है। स्कूल-कॉलेजों के बाद कैरियर से लेकर घर-गृहस्थी तक भी हर कदम पर महिलाओं की सुविधा और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों शौचालय बनने से, उज्जवला योजना के तहत गरीब से गरीब बहनों को गैस कनेक्शन की सुविधा मिलने से, घर में ही नल से जल आने से, बहनों के जीवन में सुविधा भी आ रही है और उनकी गरिमा में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत भी सबसे अधिक लाभ अगर किसी को हुआ है तो वो हमारी बहनें ही हैं, चाहे वो अस्पतालों में डिलिवरी हो या फिर दूसरा इलाज, पहले पैसे के अभाव में बहनों के जीवन पर संकट रहता था, अब 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलने से उनकी ये चिंता दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में हमेशा से माताओं-बहनों को सर्वोपरि दर्जा दिया गया है, लेकिन हमारे यहां परंपरा से सदियों तक, दशकों तक ऐसी व्यवस्था रही कि घर और घर की हर संपत्ति को केवल पुरुषों का ही अधिकार समझा जाने लगा। आज सरकार की योजनाएं, इस असमानता को दूर कर रही हैं।