लखनऊ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लखनऊ के गुलाब वाटिका के प्रेमियों ने अपने गुरु को अपने भाव से भावविभोर किया
आज के इस कार्यक्रम में प्रेमियों ने गुरु की व्याख्या की
गुरु का जीवन में क्या महत्व है और गुरु क्यों जरूरी है ये प्रेमियों ने साझा किया
गुरु प्रेमियों ने गुरु को अपना प्रेम और श्रद्धा – अपने नृत्य ,भजन और भाव से उन्हें समर्पित किया
गुरु का प्रेम और शिक्षा पाने के लिए उम्र कोई बंधन नहीं है, क्यों की कार्यक्रम में 3 साल की बिटिया ने भी संस्कृत के श्लोकों में अपने भाव गुरु को समर्पित किए तो वहीं बुजुर्गों में भी गुरु के प्रेम का बखान करने की लालसा दिखी।
आपको बता दें कि *लखनऊ के महानगर* क्षेत्र में पिछले *4 दशक* से *गुलाब वाटिका* में गुरु अपने बच्चों को ज्ञान का पाठ सीखा रही हैं। गुरु *वीणा सेवक* पिछले 4 दशक से उन तमाम लोगों के जीवन में ज्ञान का दीप जला रही हैं जो खुद उन्होंने *अपने गुरु प्रमिला भगवान* से पाया।
कार्यक्रम में भाव व्यक्त करते हुए लोगों ने कहा की गुरु का दिया हुआ ही सब है, अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर गुरु उन्हें ले आए हैं।
मंच से गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा गया की गुरु ने उन्हें चारों दिशाओं का ज्ञान दिया । गुरु ने उन्हें मुस्कुराने का, अपने स्वरूप में टिकने का और रजा में राजी रहने का ज्ञान बताया, *गुरु ने प्रारब्ध में रहने का ज्ञान दिया* क्योंकि हमारे जीवन का चक्र सिर्फ प्रारब्ध है। प्रारब्ध से चार चीजें आती हैं जिसमे प्राणी, परिस्थिति , घटना और पदार्थ है और इसी से हमारा जीवन है। जिसको प्रारब्ध समझ में आ जाए, की जो हमने बोया है, वही हमे मिल रहा है , जो हम बोएंगे वहीं हमे मिलेगा।
गुरु ने हमे अपने जीवन का सार बता दिया है , हम सिर्फ अपने को जान ले तो सदा के लिए जीवन की व्यथा से मुक्त हो जायेंगे। इसीलिए गुरु कहता है , तुम सच्चिदानंद हो, तुम ईश्वर के अंश हो, बस तुम गुरु के दिखाए रास्ते पर चलों।
और इसी लिए कहते हैं, *जिसने किया गुरु, उसी का जीवन शुरू*