मण्डल हेड गिरजा शंकर की रिपोर्ट
जौनपुर नैनों की शोभा काजल धरती की शोभा बादल, घर की शोभा है बेटी, जो नित प्रेम की बेल है बोती” ये सत्य है, बेटियां तो भाग्य वालों को ही मिलती हैं*। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक जब जब बेटियों को मौका मिला है, उन्होंने अपनी वीरता और कौशल की अनूठी मिसाल कायम की है। गार्गी की विद्वता, लक्ष्मीबाई का साहस और ना जाने कितने ही देवी तुल्य बेटियों ने इस धरा को पावन किया है। वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां पर हमारी बेटियां अपने आदम्य साहस, बुद्धि, कौशल एवं कर्मठता से अपना परचम नहीं लहरा रही हैं। भारत की हर एक बेटी के लिए प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी के दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है*। यह उत्सव देश में लड़कियों को अधिक समर्थन व नए प्रगतिशील अवसरों को प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया। इसके साथ ही भारत में आज भी बेटियों के प्रति जो असामानता की भावना व्याप्त है, उस भावना को समाप्त करने के लिए जागरूक किया जाता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है ।
कहने को हमारा देश आज स्मार्ट इंडिया की श्रेणी में अग्रसर है, लेकिन आज भी यहां कई जगहों पर बेटी की हैसियत नहीं बढ़ पाई है। बेटी के जन्म पर आज भी लोग बधाई देने से पहले कई बार सोचते हैं, बेटे की चाह में बेटी को गर्भ में ही मार दिया जाता है। इसके साथ ही समाज की बेटियों के अधिकारों व सम्मान की जंग आज भी बरकरार है। कई बार तो बरसों की सड़ी गली परंपराएं, कभी बेवजह के डर, तो कभी पारिवारिक मजबूरियां हर लड़की को विकसित होने के एक समान अवसर से रोक देती हैं। समाज में लड़कियों की यही परिस्थितियों को देखते हुए, राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का निर्णय लिया गया जिसको मनाने की शुरुआत साल 2008 में की गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 24 जनवरी के दिन नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कर्यभाल संभाला था इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दिवस समाज में बालिकाओं की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन समाज में मौजूद बालिकाओं के प्रति विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में मौजूद भेदभावों को रोकने, बालिकाओं की देश में आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाने व बालिकाओं के प्रति होने वाले शोषण को रोकने के उद्देश्य से कार्य किया जाता है। निसंदेह, वर्तमान समय में लड़कियां हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम कर रहीं हैं। शहर ही नहीं बल्कि गांवों की लड़कियां आज अपने हुनर, योग्यता व बुद्धि से देश का नाम रोशन कर रहीं हैं। ऐसे में हर लड़की को आगे बढ़ने का अवसर मिलें, इसकी ज़िम्मेदारी देश द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में पूरी की जाती है। लड़कियों को पता होना चाहिए कि उनके पास शिक्षा, स्वतंत्रता, पोषण इत्यादि अधिकार प्राप्त हैं ।
राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है?
देश में बालिकाओं की स्थिति को प्रबल बनाने के लिए, विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय बालिका दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। भारत सरकार द्वारा बालिकाओं के प्रति लोगों की चेतना बढ़ाने हेतु नई योजनाओं को लागू किया जाता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन, समाचार पत्रों, टीवी चैनल, पत्रिकाओं आदि में राष्ट्रीय बालिका दिवस के विषय में कई महत्वपूर्ण विज्ञापन शुरू किए जाते हैं। बालिकाओं के प्रति होने वाली सामाजिक बुराइयों के खिलाफ विरोध के विषय उठाते हैं। इसके साथ ही विद्यालयों व महाविद्यालयों में, राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस की कई थीमों पर नृत्य कलाएं भी होती है।