जमुहाई जौनपुर राष्ट्रीय पी.जी. कॉलेज, जमुहाई में भारतीय शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत वाद्य यंत्रों की महत्ता और उनके प्रयोग को समझाने के उद्देश्य से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में संगीत जगत के प्रमुख वाद्य यंत्रों के प्रयोग और उनके सही संचालन की बारीकियों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में छात्रों ने बांसुरी, तबला, सितार और सारंगी जैसे विभिन्न वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति दी और उनसे संबंधित तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया।कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रोफेसर मिथिलेश पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा, “भारतीय शास्त्रीय संगीत और वाद्य यंत्रों का एक अनूठा स्थान है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा हैं, और ऐसे कार्यशालाओं से छात्रों को न केवल इन यंत्रों की तकनीकी समझ मिलती है बल्कि उनके प्रति प्रेम और निष्ठा भी बढ़ती है। यह कार्यशाला छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण सीखने का अवसर है।”विशेष अतिथि नीरज दूबे ने कहा, “वाद्य यंत्रों की ध्वनि आत्मा को शांति प्रदान करती है और संगीत के प्रति गहरी समझ विकसित करती है। इस कार्यशाला ने छात्रों को वाद्य यंत्रों की मूलभूत जानकारी से लेकर उन्नत तकनीकों तक के विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर दिया है। भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को समझने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएँ अत्यंत आवश्यक हैं।”कार्यक्रम संयोजक डॉ. मंजुलिका यादव ने कहा, “यह कार्यशाला छात्रों को वाद्य यंत्रों के प्रति जागरूकता और उनकी बारीकियों को समझने का एक सशक्त माध्यम है। भारतीय संगीत में वाद्य यंत्रों का अहम स्थान है, और यह कार्यशाला छात्रों के लिए उनकी प्रतिभा को निखारने में सहायक सिद्ध होगी।”कार्यशाला में विभिन्न वाद्य यंत्रों के प्रयोग के साथ-साथ उनकी देखभाल और सही तरीके से संचालन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। छात्रों ने कार्यशाला में भाग लेकर संगीत के क्षेत्र में अपने कौशल को और भी बेहतर बनाया।