मतलब…कभी गरीबी रेखा के नीचे तो कभी ऊपर..
पढ़ना कुछ और चाहते हैं पढ़ाया कुछ और जाता है बन कुछ और जाते हैं..!
पसन्द किसी और को करते हैं, प्यार किसी और का मिलता है शादी किसी और से होगी..!
गांव से सपने लेकर शहर आते है कुछ चकाचौंध में खो जाते है कुछ दोहरीकरण में अधकुचले रह जाते है
जैसे कि मैं
चाय से लेकर चाशनी तक बना लेते हैं, कर्ज़ लेने और देने में जरा सी भी देरी नही करते..!
रिश्तेदारों को शहर घुमाने की जिम्मेदारी यही निभाते हैं..!!
खुद की प्रेमिका की शादी में ‘नागिन डांस’ करने का गौरव केवल मिडिल क्लास वाले लौंडो को ही प्राप्त है..!
लुसेंट जिंदगी में उस गर्लफ्रेंड की तरह होती है जो साथ तो रहती है लेकिन समझ कभी नही आती..!
रीजनिंग के प्रश्न चुटकी में हल कर देने वाले ये मिडल क्लास लड़के खुद की जिंदगी की समस्याओं में उलझे रह जाते हैं..!
घर और अपनी ‘जान’ से किसी लायक बनने का वादा करके निकले ये मिडल क्लास लड़के जब तक लायक हो के घर लौटते हैं तब तक उनकी जान ‘ दो चार जानों ‘ की ‘जननी’ बन चुकी होती है..!
पापा की बेइज्जती इन्हें कतई पसन्द नही आती,पापा से खूब फटती भी है..!
क्योकि बेल्ट और जूते से मुंडन संस्कार याद दिला देते है..!
मम्मी से अक्सर उल्टी बात करने के बावजूद माँ के गोद मे सर रख कर रोने वाले ये लड़के बहुत कमजोर भी होते हैं..!
जिम्मेदारियां जल्दी निभाना सीख जाते हैं , तमाम अड़ंगों के बावजूद मां-बाप का विश्वास कैसे बनाये रखना है इन्हें बखूबी आता है..!
चीटिंग कभी कर नही पाते क्योंकि मौका ही नही मिलता..!
इश्क़ करने की औकात ही नही क्योंकि रिजेक्शन झेलने की हिम्मत नही..!
कोई इनपर ‘ you are cheap’ का आरोप नही लगाता क्योंकि ये किसी भी लड़की के साथ सोए नही होते हैं..! अजी सोना छोड़िए, ये किसी लड़की के साथ जागे तक नही होते हैं..!!
इनकी शादियाँ अक्सर अरेंज्ड ही होती हैं, ऑफकोर्स रिश्तेदारों द्वारा…
इनका इश्क़ अक्सर अधूरा रह जाता है, इनके सपने, इनकी जिंदगी सब अधूरी….!
पर ये बेबकूफ़ लड़के किसी को एहसास तक नही होने देते..!
पहले पापा-मां के सपने फिर सोशायटी मेंटेन करना और उसके बाद अरेंज्ड मैरिज वाली बीबी की एक्सपेक्टेशंस पूरी करते रहेंगे ये अधूरे लड़के…!
सबको पूरा करने के चक्कर मे अधूरे रह जाते हैं ये मिडल क्लास लड़के..!!
मेरी कलम से-स्वाति वर्मा पी सी एस जे