जौनपुर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक, भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के समर्पित योद्धा, सनातन ब्यवस्था,हिन्दू संस्कृति, हिन्दुस्तानी सभ्यता, परम्पराओं से जुडाव, भारतीय स्वतंत्रता एवं राष्ट्रीय हिन्दी भाषा की भविष्यवाणी करने वाले सत्य, ब्रह्मचर्य ब्यायाम, देशभक्ति, आत्मत्याग के अद्वितीय प्रतिमूर्ति महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी की जन्मजयंती पुरे भारत में धूम धाम से आज 25 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। महामना का जन्म प्रयागराज में 25 दिसम्बर 1861में संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान एवं श्रीमद्भागवत कथा सुना कर अपनी आजीविका अर्जित करने वाले पिता पंडित ब्रजनाथ जी के पांचवें संतान के रूप में हुआ था। अभाव में संघर्ष के साथ प्रयागराज वह कलकत्ता से विद्याध्ययन पूरी कर सामाजिक, राजनीतिक, न्यायिक,पञकारिता सहित विभिन्न गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना फरवरी 1916 (बसंत पंचमी) के पुनीत अवसर पर वैदिक पुजा पाठ मंत्रोच्चार के साथ किया। वर्तमान में मुख्य परिसर में लगभग 06 संस्थान,14 संकाय,140 विभाग,75 छाञावासों ,के साथ एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। स्थापना का उद्देश्य विद्यार्थियो को संस्कारवान, शिक्षित, राष्ट्रीय भावना,देश सेवा के लिए तैयार कर राष्ट्रीय गौरव में वृद्धि करना था। सर सुन्दर लाल,पीएस शिवस्वामी, मदनमोहन मालवीय,सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन (भारत रत्न),अमर नाथ झा (पद्मभूषण), गोविन्द मालवीय, आचार्य नरेन्द्र देव , एनएच भगवती,ञिगुण सेन,… हरिनारायण (पद्मश्री) जैसे विद्वतजनों ने कुलपति के दायित्व का निर्वहन किया है। इसके निर्माण में काशी नरेश, दरभंगा नरेश, हैदराबाद के निजाम, विजयानगरम, रीवां स्टेट सहित विभिन्न राजाओं का सहयोग तथा 1896 में एनी बेसेंट के सेंट्रल हिन्दू स्कूल (कमच्छा)की स्थापना से प्रेरणा व सहयोग प्राप्त किया। महामना द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन कलकत्ता (1886) में प्रेरक भाषण देते ही राजनीतिक मंच पर प्रभावी भूमिका में आ गए। इसके बाद आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए चार बार अध्यक्ष पद पर आसिन होकर (1909,1918,1932,1933 में)
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम में गोपाल कृष्ण गोखले (नरम) एवं बाल गंगाधर तिलक (गरम) के मध्य की सफल भूमिका में रहे। “चौरी चौरा कांड” में अंग्रेजी हुकूमत ने 170 को फांसी की सजा दी गई थी। जिसमें 153 क्रान्तिकारियों को मौत की सजा से बचाने में सफल रहे। यही नहीं 1915 में “हिन्दू महासभा” की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका रही। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन (काशी -1910) के अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा था कि-“एक दिन यही भाषा राष्ट्रभाषा होगी”।एक अन्य वार्षिक अधिवेशन (बम्बई -1919) में सभापति पद से कहा –“हिन्दी-उर्दू के प्रश्न को धर्म का नहीं अपितु राष्ट्रीयता का प्रश्न बतलाते हुए उदधोष किया कि — *साहित्य और देश की उन्नति अपने देश की भाषा द्वारा ही हो सकती है। प्रान्तीय भाषाओं के विकास के साथ साथ हिन्दी को अपनाने के आग्रह के साथ यह भविष्यवाणी भी की कि –*कोई दिन ऐसा भी आयेगा कि जिस भांति अंग्रेजी विश्वभाषा हो रही है।उसी भांति हिन्दी का भी सर्वञ प्रचार होगा। #इस प्रकार हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय रूप का लक्ष्य भी दिया।
महामना जी ने गिरमिटिया मजदूरों (दास प्रथा) के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही। हिन्दू मुस्लिम एकता पर लाहौर (1922), तथा कानपुर (1931) में साम्प्रदायिक सद्भाव पर दिया गया ऐतिहासिक भाषण काफी महत्वपूर्ण (प्रसिद्धि प्राप्त) रहा है। हिन्दी साप्ताहिक “हिंदुस्तान”, और “इंडियन यूनियन” के सम्पादक रहे साथ हीं “अभ्युदय” एवं “मर्यादा” जैसे पञ पञिकाओं की भी शुरुआत की थी।
क्षयशील हिन्दू जाति को विनाश से बचाने के लिए हिन्दू संगठन का शक्तिशाली आंदोलन चलाया।तीर्थ प्रतिवाद क्षेलते हुए भी कलकत्ता, प्रयागराज, काशी, नासिक में “भंगियों” को धर्मोपदेश व मंञ-दीक्षा दिया। सनातन धर्म, हिन्दू संस्कृति की रक्षा और संवर्धन में मालवीय जी का योगदान अनन्य है। इन्हीं अनेकानेक विशेषताओं के कारण महात्मा गांधी ने “”महामना”” की उपाधि दिया…. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने “”कर्मयोग”” कहा । वहीं प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि–अपने नेतृत्व काल में हिन्दू महासभा को राजनीतिक प्रतिक्रियावादिता से मुक्त रखा और अनेक बार धर्मों के सहअस्तित्व में अपनी आस्था को अभिव्यक्त किया। इस प्रकार एनी बेसेंट ने भी कहा था कि –“”मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि बिभिन्न मतों के बीच केवल मालवीय जी भारतीय एकता की मूर्ति बने खड़े हुए हैं””। ये हैं इस यूग के आदर्श पुरुष जिन्होंने 12 नवंबर 1946 को पच्चासी वर्ष की अवस्था में इस धरा को छोड़ कर चले गए। जिन्हें मरणोपरांत 2014 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान “”भारत रत्न””तथा 2016 में वाराणसी से नयी दिल्ली “”महामना एक्सप्रेस”” शुरू की गई। आज भारत रत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी को जन्मजयंती पर सादर नमन ,वंदन ,श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। महामना की जय हो – हर हर महादेव। प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला, पूर्व प्राचार्य/विभागाध्यक्ष,-राजनीति विज्ञान विभाग, राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर-222001.