ब्यूरो चीफ एड. अभिषेक उपाध्याय की रिपोर्ट
जौनपुर : बीमा कंपनियां आमतौर पर लोगों की भलाई के लिए काम करती हैं। दुर्घटना या अन्य विपदा के समय यह बीमा लेने वाले लोगों की मदद करती है। बीमा कंपनियां अपनी तरफ से वकील रखती हैं । यह वकील मामले की निष्पक्षता पूर्वक मुआवजा दिला कर न्याय दिलाने का काम करते हैं। लेकिन हकीकत तो यही है कि बीमा कंपनियों को चूना लगा रहे उसके ही अपने वकील। और हैरत की बात है कि इन वकीलों की करतूतों का खुलासा उनके खुद के हमपेशा वकीलों ने ही किया है।
ताजा मामला है जौनपुर का। लेकिन तस्वीर तो पूरे बीमा क्षेत्र की बनती जा रही है। ऐसी हालत में कुछ वकील ऐसे भी हैं ,जो याचिका दाखिल करने वाले वकील से समझौता कर मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। बीमा कंपनियों से प्राप्त वेतन के साथ साथ दोहरी कमाई करने वाले वकील जहां एक तरफ अपनी तिजोरी भर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बीमा कंपनियों की भी लुटिया डुबो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मतापुर स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसमें बीमा कंपनी के वकील और याचिका दायर करने वाले वकील के बीच सौदाबाजी चल रही है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इस दलाली की बातचीत को इन वकीलों के पास खडे़ एक अन्य वकील ने चुपचाप रिकार्ड कर लिया। इस ऑडियो में एक वकील दूसरे से साफ-साफ मोटी रकम मांग रहा है ताकि उसका क्लेम जल्दी निपट जाए। अन्यथा अड़ंगा भी लग जाएगा।
ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल हो जाने के बाद लोग आश्चर्यचकित हैं। ऑडियो रिकॉर्डिंग से स्पष्ट है कि बीमा कंपनी का वकील बहस के लिए याचिकाकर्ता के वकील से 20 हजार रुपए की मांग कर रहा है। बीमा कंपनी के पक्ष में नियुक्त वकील विरोधी पक्षकार के वकील से रुपए मांग कर बीमा कंपनी को ही लाखों करोड़ों का चूना लगा रहा है। यह खेल काफी समय से चल रहा है।इसके अलावा तमाम ऐसे मामलों में जिसमें गाड़ी एक्सीडेंट करके भाग जाती है,पुलिस, मृतक के परिवार वाले मिलकर बीमा की गई गाड़ी लगाते हैं। कोर्ट में बीमा कंपनी के अधिवक्ता याचिकाकर्ता या याचिकाकर्ताओं से मिलकर उनसे रुपए लेकर बीमा कंपनी को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। इसी लिए हाई कोर्ट द्वारा एसआईटी का भी गठन हुआ है। एसआईटी भी केवल याचिकाकर्ता और मोटर मालिक के खिलाफ कार्यवाही करती है जबकि असली खेल बीमा कंपनी के ही वकील रुपए लेकर खेलते हैं।
दोलत्ती डॉट कॉम को जिस वकील ने यह ऑडियो और यह सारी जानकारी सौंपी है, वह अपना नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहता है। ठीक भी है, वकीलों की भीड़ में एक जुझारू और भंडाफोड़ करने का माद्दा रखने वाले को न जाने वकीलों का झुंड पीट-पीट कर मुर्गा बना दें, क्या पता। इसलिए दोलत्ती इस वकील की पहचान गुप्त ही रखने जा रहा है। हां, आप उन दलाल वकीलों को पहचान जानना चाहते हों तो कृपया बीमा दफ्तर में पहुंचिये और वहां मौजूद वकीलों से बातचीत कीजिए। अगर आपको दोलत्ती में पेश गयी आवाज की तनिक भी साम्यता बीमा दफ्तर के वकील की आवाज में महसूस हो तो समझ लीजिएगा। दोलत्ती ने तो इन दोनों ही वकीलों से बातचीत की, लेकिन एक ने तो इस पर कोई टिप्पणी करने से ही इनकार कर दिया। जबकि दूसरे ने जो अपना वाट्सऐप नम्बर दिया, वह उपलब्ध ही नहीं था।