- लखनऊ मोंटीसरी इंटर मिडिएट कॉलेज पहुंच कर उनकी कर्मभूमि की रज को मस्तक पर लगाया।
मण्डल हेड गिरजा शंकर निषाद की रिपोर्ट
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास बिना दुर्गा भाभी के संभव ही नहीं है, वही दुर्गा भाभी जिन्होंने सांडर्स वध के बाद शहीद भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त को लाहौर से कलकत्ता पहुंचाया जबकि 3 साल का उनका बेटा शचींद्र गोद में था उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बैगर 500 से अधिक ब्रिटिश पुलिस के बीच से अपने काम को अंजाम तक पहुंचाया. वही दुर्गा भाभी जिन्होंने गवर्नर हैली पर गोली चला कर हमला किया जिसमें हैली तो बच गया, लेकिन दूसरा सैन्य अधिकारी टेलर घायल हो गया था।
वहीं दुर्गा भाभी जिनके पति अमर शहीद भगवती चरण वोहरा थे जिनका बलिदान बम फटने से हो गया. वहीं दुर्गा भाभी जिन्होंने अपने सारे गहने बेच कर चंद्रशेखर आज़ाद को विदेशी पिस्तौल भेंट की जिसे आज़ाद बमतुल बुखारा कहते थे।
हां वहीं दुर्गा भाभी जिन्होंने आज़ादी के बाद गुमनामी का जीवन काटा और अपना घर बार बेच कर लखनऊ में उत्तरप्रदेश का पहला मोंटेसरी स्कूल खोला, जिसमे सबसे पहले पिछड़े और गरीब तबके से आने वाले बच्चों को शिक्षा दी, आज उस स्कूल के गरीब बच्चें देश और दुनिया में नाम कर रहें है जिसमें भारतीय राजनीति की कई बड़ी हस्तियां शामिल है।
लगभग 92 साल की उम्र में उन्होंने 15 अक्टूबर 1999 को अंतिम स्वास ली, आप ही निर्णय लीजिएगा क्या हमने वीरांगना दुर्गा भाभी को वो सम्मान दिया जिसकी वो असली हकदार थी, तो दूसरी ओर हजारों हजार क्रांतिकारियों की गाथा को समेटे यह चैतान्यधाम बदहाली और अनदेखी की भेंट चढ़ रहा है।
क्रांतिधर्मा मिहान नारायण जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में शहीद समरसता मिशन लगातार देश भर में आजाद भगत के साथी अभियान चला रहा है. जल्द ही एक रोड़ मैप तैयार कर सरकार और समाज के माध्यम से ऐसे चैतन्य तीर्थों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए ऐसा प्रयास किया जायेगा ताकि आने वाली पीढ़ियों में फिर कोई दुर्गा दानवों से इस राष्ट्र की रक्षा के लिए पैदा होती रहें।
इस प्रसंग पर मिशन के प्रदेश प्रभारी राहुल राधेश्याम, वाराणसी मंडल (संभाग) के प्रभारी श्रवण निषाद जी, प्राध्यापक डॉ. मनोज कुमार जी, सुभाषचंद गुप्ता जी, किशनलाल जी, अमर द्विवेदी जी, स्थानीय साथी शैलेंद्र सिंह जी समेत अन्य साथी उपस्थित रहेंl