गोरखपुर।भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय ‘‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’’ का लोकार्पण किया। यह भव्य समारोह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत पौधरोपण कर प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही ‘नए उत्तर प्रदेश’ की प्रगति पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की स्थापना को आयुष चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह संस्थान न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक सशक्त और समरस आयुष सेवा केंद्र के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय भारत की समृद्ध प्राचीन चिकित्सा परंपराओं का आधुनिक स्वरूप है और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
उन्होंने विश्वविद्यालय में उच्चस्तरीय सुविधाओं के निर्माण की सराहना करते हुए कहा कि इनसे न केवल आमजन को लाभ मिलेगा, बल्कि इससे जुड़े आयुष कॉलेज भी सशक्त होंगे।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वास्थ्य जागरूकता पर दिया बल
समारोह में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सभी स्वास्थ्य सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने याद किया कि एक समय था जब अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से हजारों बच्चों, माताओं और बुजुर्गों की जान जाती थी। लेकिन आज देश में उन्नत चिकित्सा सुविधाओं से युक्त संस्थान स्थापित हो रहे हैं और आयुष विश्वविद्यालय भी इसी दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
राज्यपाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों तक आयुष चिकित्सा पद्धतियों को पहुँचाया जाएगा। आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण बिना किसी रसायन के होगा, जिससे किसानों और ग्रामीणों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने इसे सरकार की दीर्घकालिक स्वास्थ्य सेवा रणनीति का एक अहम हिस्सा बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेद सभी चिकित्सा पद्धतियाँ उपलब्ध हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि इनका लाभ अभी तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाया है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आंगनबाड़ियों और प्राथमिक विद्यालयों में होम्योपैथिक जैसी सुरक्षित औषधियाँ पहुँचाई जाएँ, तो कई गंभीर बीमारियों से बचाव संभव है।
“समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे चिकित्सा सेवाएँ” – राज्यपाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि डॉक्टरों को आपसी समन्वय से कार्य करते हुए तीनों चिकित्सा पद्धतियों का लाभ रोगियों को देना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं में मेनोपॉज जैसी स्थितियों में होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग पर जोर दिया, जिससे उन्हें राहत मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकारें भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करती हैं, लेकिन यदि लोगों को जानकारी ही नहीं है, तो इसका लाभ सीमित रह जाता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता, डॉक्टर और छात्र गाँवों में जाकर जागरूकता फैलाएँ और आवश्यक दवाएं एवं सलाह प्रदान करें।
“सफल यूनिवर्सिटी वही, जो समाज को रोगमुक्त करे”
राज्यपाल ने कहा कि पूर्वांचल में आयुर्वेद का यह बड़ा केंद्र एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने छात्रों और डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे इस संस्थान का पूर्ण लाभ लें और समाज के अंतिम छोर तक इसकी सेवाएँ पहुँचाएँ।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि जिस प्रकार टीबी रोगियों के लिए सरकार कार्य कर रही है, उसी तरह अन्य बीमारियों से भी परिवारों को मुक्त करने का संकल्प लेना चाहिए।
अंत में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के वक्तव्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके विचार प्रेरणादायक और जनमानस को झकझोरने वाले हैं। उन्होंने उपस्थित जनों से अपील की कि राष्ट्रपति के मार्गदर्शन को आत्मसात करें और समाज की सेवा में लगें।