रिपोर्ट हियाशुं यादव
जौनपुर। स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उप-राष्ट्रपित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर मनाया गया। इस अवसर पर शिक्षण कार्य में अनूठे और विशेष योगदान देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित जनपद के परिषदीय,कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कार्यरत 110 शिक्षक, 6 वार्डन 6 स्पेशल एजुकेटर, 2 पीएमश्री विद्यालय व 6 अन्य सहित कुल र 130 सम्मानित जनों को कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित प्रेक्षागृह में प्रशस्ति पत्र, अलंकरण देकर सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को देने का प्रमुख उद्देश्य शिक्षकों को अच्छे शिक्षण कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही बेहतर ढंग से समाज में शिक्षा की अलख जगाने के उनके प्रयासों को और प्रभावी बनाना है।
मुख्य अतिथि एम एल सी बृजेश सिंह प्रिंसू ने देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस मनाये जाने के बारे में बताया कि एक बार उनके छात्रों ने आदर सम्मान से उनसे पूछा कि क्या वह उन्हें उनके जन्मदिन पर कोई गिफ्ट दे सकते हैं और उनका जन्मदिन मना सकते हैं। इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने छात्रों से उपहार लेने से मना कर दिया और कहा कि वे इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मना सकते हैं। जब बाद में उनका निधन हुआ तो उन्हें श्रद्धांजलि व सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाये जाने का फैसला लिया गया।
कार्यक्रम का समापन विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर उन्हें नमन करते हुए बताया कि 05 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 5 सितंबर शिक्षक दिवस का दिन उन्हें ही समर्पित है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति और महान शिक्षाविद, भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन खुद एक बहुत अच्छे टीचर थे। 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के छोटे से गांव तिरुमनी में जन्मे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा में किया जा रहे उत्कृष्ट सुधरो पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों से अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक पालन करते हुए भविष्य की पीढ़ी को सही दिशा दिखाते हुए सभी बच्चों के नैतिक विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास किए जाने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम का समापन विशिष्ट अतिथि द्वारा गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए किया गया।