- प्रो दयानंद तिवारी रेलवे बोर्ड के सदस्य नियुक्त
मुंबई के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् , स्तंभकार, साहित्यकार व भाजपा के मुंबई, महाराष्ट्र प्रदेश के प्रवक्ता प्रो डॉ दयानंद तिवारी को रेल मंत्रालय ने पश्चिम रेलवे के जेडयूआरसीसी के सदस्य के रूप में दो बर्षों के लिए नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से प्रभावी है।प्रो दयानंद तिवारी मूलतः उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के अंबेडकर नगर जिले के जहांगीरगंज क्षेत्र के राजे सुल्तानपुर थान्हा के अन्तर्गत कमालपुर मुबारकपुर पिकार के मूल निवासी हैं। उनका कहना है कि हमें जो कुछ भी मिला है वह हमारे कुल देवता सुर्युबाबा और ब्रह्मचारी बाबा की कृपा है।
उन्होंने इस नियुक्ति पर प्रसन्नता जताते हुए कहा है कि मेरी कोशिश होगी कि मैं पश्चिम रेलवे में यात्रियों को होने वाली असुविधाओं को विभाग से मिलकर दूर करूँ। जिससे पश्चिम रेलवे को एक नया आदर्श स्थान प्राप्त हो सके।ज्ञातव्य है कि प्रो तिवारी वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य में मानवाधिकार परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्माण समिति के सदस्य, सर्व ब्राम्हण महा सभा के राष्ट्रीय महासचिव और वर्ल्ड एनआरआई एसोसिशन के वैश्विक बौद्धिक प्रमुख हैं। आप जानेमाने कलमकार भी हैं। पिछले चार वर्षो से आप का हिंदी दैनिक सामना में हर शनिवार साहित्य शलाका, दैनिक नवभारत के रविवारीय संस्करण में साहित्य सारथी और दैनिक यशोभूमि में हर सोमवार शिक्षा और कैरियर पर स्थाई स्तंभ प्रकाशित हो रहा है।
आपको महाराष्ट्र सरकार का प्रतिष्ठित राज्य शिक्षक पुरस्कार और महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।उनकी अभी तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। प्रो तिवारी 5 विषयों में मास्टर्स के साथ पीएच डी और डी लिट हैं। उनके मार्ग दर्शन में अभी तक 20 विद्यार्थीयों को पीएच डी मिल चुकी है। महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम में शामिल 12 वीं कक्षा में उनकी लिखी एकांकी पल्लवन बहुत चर्चित है। श्री तिवारी ने इस नियुक्ति के लिए मुंबई के सांसद श्री गोपाल शेट्टी , श्री मनोज कोटक, मुंबई भाजपा अध्यक्ष श्री आशीष शेलार , महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस , भाजपा के महामंत्री श्री संजय उपाध्याय और वरिष्ठ पत्रकार श्री ब्रजमोहन पांडेय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की धरती पर मेरी सभी इच्छाएं माता मुंबा देवी पूरा करती रही हैं। मैं महाराष्ट्र की भूमि का ऋणी हूं।