- संस्कार जीवित हुआ तो संस्कृत भाषा अवश्य ही विस्तार को प्राप्त करेगी डॉ. अशोक कुमार पाण्डेय
अयोध्या विप्र संजीवनी परिषद गुरूकुल अयोध्या में संस्थापक-डा0अशोक कुमार पाण्डेय के आचार्यत्व में कई बटुको का यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न कराया गया ।जिसमे उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के बच्चो के साथ उनके अभिभावकों की भी उपस्थिति रही।मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्थापित विप्रसंजीवनीपरिषद गुरुकुल में प्रतिवर्ष निःशुल्क अनेको बटुको का यज्ञोपवीत कराया जाता है। और उन्हे संस्कारवान बनाकर भारत की प्राचीन गरिमा को पुनरजीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। डा0अशोक कुमार पाण्डेय ने अबतक अनेको बटुको का निशुल्क यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न कराया है उनका कथन है यदि संस्कार जीवित हुआ तो संस्कृत भाषा अवश्य ही विस्तार को प्राप्त करेगी । डा0 अशोक कुमार पाण्डेय विप्रसंजीवनीपरिषद में निःशुल्क 70बच्चों को विद्याध्ययन कराते है।उनका कथन है कि सभी भाषाओं की तरह संस्कृत केवल भाषा ही नही है।इसके अध्ययन से हमारे अंदर देवत्व उत्पन्न हो जाता है क्योकि यह देवभाषा है।डा0अशोक पाण्डेय के पढाए अब तक हजारों के ऊपर शिक्षक धर्मगुरु कथा वाचक संगीतकार कवि हो चुके है।इनके पढाए हुए अनेको जे0आर0एफ0 भी है। परिषद में आज सायंकाल के समय भजन संध्या का आयोजन भी किया गया जिसमे परिषद के ही छात्रो नें शानदार प्रस्तुति की।और भण्डारा का भी आयोजन कियि गया जिसमें अनेको लोग भोजन प्रसाद भी लिए। यज्ञोपवीत के उपरांत आचार्य डा0अशोककुमारपाण्डेय ने यज्ञोपवीत का महत्व बताते हुए कहा कि आज हमारा हिन्दू समाज संस्कार और संस्कृतभाषा के प्रति बहुत ही उत्सुक दिखाई पड़ रहा है।भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और उ0प्र0के मुख्यमंत्री योगी जी ने फिर भारत देश एवं प्रदेश को पहले जैसा समृद्ध बना दिया।भारत की पहचान उसकें संस्कारों एवं भाषा से ही होती रही थी किन्तु कुछ हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले लोग भारत देश को अन्य देशो की तरह असभ्यता एवं नग्न वातावरण की तरफ धकेल दिए थे।संस्कार से ही हम द्विज कहलाते है।जब तक हमारे देश में संस्कार था अनेको महापुरुष पैदा होते थे।किन्तु संस्कार विहीन भारत देश में अनेको राष्ट्र विरोधी संस्कृति विरोधी संस्कृत भाषा विरोधी लोग पैदा हो गए थे।किन्तु आज का वातावरण पहले से बिल्कुल बदल गया है।अब इस देश में पुनः संस्कृत भाषा भारतीय प्राचीन संस्कृति एवं मर्यादाएं पुनः जीवन्त हो रही है ।आचार्य जी ने कहा कि संस्कार विहीन मनुष्य में और पशु में कोई अंतर नही होता है। यज्ञोपवीत संस्कार का संपादन कर रहे अनेको वैदिकों के वैदिक मन्त्रों के उच्चारण से पूरा अयोध्या का वातावरण गुंजायमान हो गया । वैदिक विद्वानो में पं0आचार्य शुभम पाण्डेय, पं0सिद्धांत ,पं0विवेक जी पं0आदर्श पं0मयंकमणित्रिपाठी पं0 हर्षित पाण्डेय पं0सूरज द्विवेदी पं0मुमुक्षानंद पं0अजय दूबे एवं पं0रुपेश दूबे ,पं0शशांक, अंशजी राजेश्वर एवं अन्यान्य आचार्य गण विराजमान थे।