जबलपुर-जीवन में किसी के छोटे से उपकार को भी सर्वकाल स्मरण रखना चाहिए,जीवन के इस सर्वोत्तम धर्म सूत्र को प्रेमभूषण महाराज ने अपने व्यासत्व में जबलपुर, भेड़ाघाट स्थित मजीठा गाँव में 23 से 31 जनवरी तक आदेश तिवारीऔर अर्पित तिवारी द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामकथा में श्रोताओं को प्रदान किया।
पूज्यश्री ने अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को दिव्य और अलौकिक उत्सव बतलाते हुए इसे आम से ख़ास हर धार्मिक आस्थावान के लिए जीवन का सबसे बड़ा महोत्सव कहा। लोगों की राम भक्तिआस्था और उत्सुकता के भाव दर्शन हेतु पूज्यश्री ने अपने स्वरचित गीत मेरी झोपड़ी के भाग आज जाग जाएंगे राम आएंगे.. सुनाकर इस भजन को चोरी से गाने वालों को सचेत करते हुए फटकार भी लगाया।सतकोटि रामायण की चर्चा करते हुए पूज्यश्री ने कहा कि रामजी को जिस महापुरूष ने जिस दृष्टि से जितना देखा वही व्यक्त किया इस प्रकार रामायण की संख्या सतकोटि हो गयी।रामजी और शिवजी की कथाओं को कल्याणकारी बतलाते हुए कहा की शत चंडी यज्ञ भी माँ की प्रसन्नता के लिए किया जाता है क्योंकि माता रानी के प्रसन्न होने पर सभी प्रसन्न हो जाते हैं।राम मंदिर और प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध करने वालों को लताड़ लगाते हुए कहा कि अभी तो राममंदिर के अतिरिक्त पाँच-सात मंदिर और बनेगा क्योंकि देवराहा बाबा जैसे सिद्ध संत की वर्षों पूर्व की गई यह भविष्यवाणी है जो क्रमशः सत्य हो रही है।सभी ग्रंथ और मंत्र भगवान से निकटता प्रदान करते हैं।पूज्यश्री नेअयोध्या के रामोत्सव में तुलसीदास जी चौपाइयों को बोलने वाले सभी वक्ताओं द्वारा तुलसीदास जी की चर्चा न करने की निंदा करते हुए कहा कि हम तुलसीदास जी के कर्मचारी हैं, उन्ही की दी हुई रोटी खाते हैं ऐसे में उनको न याद करना एक बड़ा अपराध है,इसका मै आगे भी विरोध करता रहूंगा। पूज्यश्री ने स्वयं को आध्यत्मिक नही सामाजिक व्यक्ति बतलाते हुए इसे ही अपनी रामकथा का वैशिष्ठ भी बतलाया। छोटे बच्चों की तीव्रता को सही दिशा प्रदान करने से उनके जीवन का विकास होता है।संपूर्ण धरा पर अयोध्या के उत्सव का सबसे बड़ा प्रभाव बच्चों और युवाओं में दिखाई देता है।पूज्यश्री ने अपने कथा प्रवाह में कहा कि भारत के सद्ग्रन्थों ने उसे विश्वगुरू बनाया है इसलिए भारत वंदनीय औरअभिनंदनीय है।