अमेठी-प्राइवेट स्कूलों में बच्चों से मोटी फीस वसूली जाती है, जबकि बच्चों को पढ़ाने वाले कथित शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। कथित शब्द इसलिए प्रयोग किया है पता नहीं स्कूल संचालकों के रिकॉर्ड के अनुसार वे शिक्षक हैं भी या नहीं। यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ है। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि शिक्षकों की योग्यता क्या है।
यह स्थिति कुछ ही प्राइवेट स्कूलों की नहीं है, बल्कि अधिकांश स्कूलों में छात्र-छात्राओं को अप्रशिक्षिक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी ज्यादा खराब है, जहां अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचते ही नहीं है। प्राइवेट स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक धड्ल्ले से पढ़ाने के पीछे मोटे-मोटे तीन कारण है। पहला- अभिभावकों में जागरुकता की कमी। अभिभावक यदि स्कूल संचालक से यह पूछने लग जाए कि बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता क्या है। शैक्षणिक दस्तावेज मांगने पर पोल खुल जाएगी। दो-शिक्षा अधिकारियों का बेपरवाह होना। किसी डीईओ या बीईईओ यह जांच नहीं करते की प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता क्या है। तीसरा-बेरोजगारी। प्रशिक्षित शिक्षक पढ़ाने की एवज में वेतन ज्यादा मांगते हैं, जबकि 10-12 पास कथित शिक्षक 2-3 हजार रुपए में आसानी से मिल जाते हैं।
शिक्षा विभाग के नियमों की बात करें तो सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता का डिसप्ले करना चाहिए। इसके लिए शिक्षकों के नाम, सब्जेक्ट व योग्यता के बारे में अलग से बोर्ड स्थापित कर लिखना चाहिए। वहीं शिक्षकों की सैलेरी का भुगतान बैंक अकाउंट से करने का प्रावधन है। इसके बावजूद शायद ही कोई प्राइवेट स्कूल होगा, जहां बोर्ड पर शिक्षकों के नाम, योग्यता और सब्जेक्ट के बारे में लिखा हो। बैंक अकाउंट से सैलेरी का भुगतान भी गिनती के स्कूलों में ही किया जाता है।
प्राइवेट शिक्षण संस्थान वाले इतने चतुर हैं कि उन्होंने कागज में उन्हीं लोगों शिक्षक दिखा रखा है, जिनके पास वैध डिग्री है। हकीकत देखें तो पढ़ा कोई और रहा है। सूत्रों का कहना है कि प्राइवेट कालेज में शिक्षा विभाग की टीम निरीक्षण के लिए आती है तो संस्था संचालक किसी दूसरे की वैध डिग्री को पेश कर देते हैं। डिग्री देखकर टीम संतुष्ट हो जाती है, लेकिन टीम को यह पता ही नहीं होता कि जो डिग्री दिखाई है उस नाम का व्यक्ति को यहां पढ़ाता ही नहीं है। संचालकों की इस तरह की पोलपट्टी का खुलासा करने के लिए शिक्षकों की योग्यता, नाम, सब्जेक्टर के साथ फोटो में होनी चाहिए।
प्रशिक्षित शिक्षक ही होने चाहिए
प्राइवेट स्कूलों के लिए भी नियम कायदे बने हैं। इसकी पालना करना जरुरी है, वरना मान्यता रद्द करने का प्रावधान है। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षिक शिक्षक होने चाहिए। इसमें एसटीसी, बीएड नहीं है तो कम से कम रीट पास आउट तो होना ही चाहिए। इसके बावजूद प्राइवेट स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक पढ़ाने की बात है तो ज्यादा तर प्राइवेट स्कूलों की जांच विभाग द्वारा होनी चाहिए
रमेश गुप्ता विशु की रिपोर्ट