आइए जानते हैं भारत में हाल ही में लागू हुए हिट-एंड-रन कानून जिसका मकसद दुर्घटना के बाद ड्राइवर भागने से रोकना है ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट यूनियन के देशव्यापी हड़ताल को जन्म दे दिया जिसके चलते ट्रक और टैंकर ड्राइवर्स का तीन दिन का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला इसने देश के कई हिस्सों में डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति की समस्या भी देखने को मिली l
भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अनुसार, जो ब्रिटिश-कालीन भारतीय दंड संहिता का रिप्लेस्मेंट है जिसके तहत अगर किसी ड्राइवर के लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते कोई गंभीर सड़क दुर्घटना होती है और वह पुलिस या किसी अधिकारी इस घटना की जानकारी दिए बिना चला जाता है तो उसे दंडित किया जा सकता है जिसके लिए 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है l
पहले हिट एंड रन कानून क्या था
भारतीय न्याय दंड सहिंता में पहले हिट-एंड-रन जैसी घटनाओं के लिए कोई सीधा कानून नहीं था हालांकि इसके बजाय ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए IPC की धारा 304 ए का प्रयोग किया जाता था जिसके मुताबिक लापरवाही से किए गए किसी काम की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो अधिकतम दो साल की जेल या जुर्माना हो सकता है l
इसलिए शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
नए हिट एंड रन कानून की आलोचना मुख्य रूप से दुर्घटना की जगह छोड़ने के लिए सख्त सजा के इर्द-गिर्द केंद्रित है क्योंकि नए कानून के मुताबिक ड्राइवर को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए का तगड़ा जुर्माना हो सकता है. जबकि पुराने नियम के तहत 2 साल की सजा और जुर्माना भी काफी कम था अब ड्राइवर इसे दो धारी तलवार समझ रहे हैं क्योंकि दुर्घटना भले ही पूरी तरह से उनकी गलती की वजह से न हुई हो लेकिन इसका खामियाजा उन्हें काफी ज्यादा भुगतना पड़ सकता है l
इसके अलावा ट्रक ड्राइवरों को इस बात का भी डर है, कि घायलों को अस्पतालों तक ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का भी सामना करना पड़ सकता है जैसा कि आजकल देखने को मिलता है लिए
रमेश गुप्ता विशु