बदलापुर (जौनपुर) क्षेत्र के नेवादा मुरीदपुर सुन्दर वन में शुक्रवार की रात को आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान में धनुष यज्ञ का भावपूर्ण मंचन किया गया। रामलीला का शुभारंभ समाजसेवी अशोक कुमार पाठक आचार्य देवेन्द्र नारायण मिश्र, अच्छे लाल पाठक लालबहादुर यादव ने भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता की आरती उतार कर किया।
रामलीला मंचन में सीता स्वयंवर में जब राजागण धनुष हिला न सके तो राजा जनक के मन में बेटी विवाह को लेकर चिंता व्याप्त हो गयी। हताश होकर उहोंने कहा कि तजहु आस निज – निज गृह जाहू, लिखा न विधि वैदेही विवाहू । इस प्रकार उनके हताशा भरे वाक्य को सुनकर जहाँ लक्ष्मण का क्षत्रिय पुरुषार्थ जागृत हो उठा। वहीं विश्वामित्र ने राम को संकेत कर जनक का संताप दूर करने को कहा। इस पर रानी जब श्रीराम को धनुषशाला की ओर बढ़ते देखती है तो वे राजा से बालक को रोकने का आग्रह करती है। मगर ज्ञानी विदेह राज को विश्वामित्र के निर्णय पर अटल विश्वास था। इसलिए वे चुप रहते हैं। अन्त में राम शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए डोरी खीचते हैं तभी धनुष टूट जाता हैं। धनुष टूटते ही राजा का प्रण पूरा होता है और राम के गले में सीता वरमाला डालकर वरण करती हैं।
इस दौरान राम के जयकारे से पंडाल गुंजायमय हो जाता हैं। फिर लक्ष्मण व परशुराम के संवाद देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। राम का अभिनय दीपक सिंह, लक्ष्मण अनुभव पाठक , सीता रिसिका चतुर्वेदी , जनक सुरेन्द्र प्रतआप मिश्र,, परशुराम अनिल निषाद रावण शशिकांत पाठक , दुष्ट राजा इन्दभान निषाद, सज्जनों राजा राहुल शुक्ला, रामलीला का संचालन अनुराग पाठक ने किया।