डाॅ जयेश मिश्र आचार्य जी जौनपुर ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नौ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है।
कुंडली में गुरु के कमजोर होने पर
कई परेशानियों का सामना करना
पड़ सकता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नवग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव रहता है। हर एक ग्रह शुभ अथवा अशुभ स्थिति में रहते हुए व्यक्ति के जीवन को जरूर प्रभावित करता है। व्यक्ति की कुंडली में ग्रह अगर शुभ स्थान में आकर बैठ जाएं तो व्यक्ति का जीवन सुखी रहता है, वहीं अगर कुंडली में ग्रह विपरीत भाव में विराजमान हो तो व्यक्ति तमाम तरह के संकटों से घिरा रहता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है तो व्यक्ति को उच्च पद, सरकारी नौकरी और मान-सम्मान प्राप्त होता है. वहीं शनि के उच्च होने पर व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है।
इसके विपरीत अगर कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो तो मनुष्य के जीवन में तमाम तरह की कष्टों का सामना करना पड़ता है. इस तरह से गुरु के मजबूत होने पर धन और उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण पद की प्राप्ति होती है. लेकिन कुंडली में गुरु के कमजोर होने पर कई तरह के परेशानियां भी आती हैं. आइए जानते हैं ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व, कमजोर गुरु का प्रभाव और संकेत के बारे में…
ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति का महत्व
ज्योतिष में गुरु को बुद्धि, ज्ञान,वैवाहिक जीवन और उच्च शिक्षा का कारक ग्रह माना जाता है. कुंडली में गुरु के मजबूत होने पर जातक बुद्धिमान, धन-संपदा वाला और भाग्यशाली होता है. महिलाओं के विवाह का कारक ग्रह भी गुरु होता है. गुरु धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं. कर्क राशि में ये उच्च के होते हैं, जबकि मकर राशि में नीच के माने गए हैं।
इन परिस्थितियों में गुरु के कारण आती है आर्थिक परेशानियां
जब कुंडली में गुरु शुभ भाव में नहीं होते हैं तो व्यक्ति को धन हानि का सामना करना पड़ता है। कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं. ऐसे में अगर कुंडली के छठे भाव में गुरु मौजूद हों तो यह व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करवाते हैं. आमदनी कम और खर्चे बढ़ते हैं. व्यक्ति कर्ज के जाल में फंस जाता है और जीवन में बहुत ही उतार- चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा अगर किसी जातक की कुंडली के आठवें भाव में कमजोर गुरु विराजमान होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में अक्सर धन हानि का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति के धन संबंधित तमाम तरह की परेशानियों से जूझता है. ऐसे लोग अक्सर गरीब और डरकोप स्वभाव के होते हैं.
कमजोर बृहस्पति के संकेत
जिन लोगों के शरीर में खून की कमी, पेट संबंधी परेशानियां, शरीर में दर्द,बवासीर, बदहजमी और मानसिक अशांति जैसी परेशानियों का सामना करना पड़े तो उस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कमजोर माना जाता है. कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने पर जातक को मधुमेह और पित्ताशय से जुड़े रोग परेशान करते हैं. कुंडली मे गुरु के कमजोर होने पर व्यक्ति का मोटापा बढ़ने लगता है. वहीं गुरु के अशुभ प्रभाव से जातक गलत कार्यों में लिप्त हो जाता है ।