वाराणसी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी पहुचे बीएचयू हेलीपैड पर स्वागत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काशी आगमन पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीएचयू हेलीपैड पर उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री की आगवानी करने के लिए सीएम योगी डेढ़ घंटे पहले ही बीएचयू पहुंच गये और सारी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। सीएम लखनऊ से सीधे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से हेलीकाप्टर के जरिए वे बीएचयू हेलीपैड पहुंचे। मुख्यमंत्री ने यहां काशी तमिल संगमम के उद्घाटन और कार्यक्रम की तैयारियों को बारीकी से देखा। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीएचयू आगमन पर उन्होंने उनकी आगवानी की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ कार्यक्रम के दौरान मंच साझा किया। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के आगमन के मद्देनजर बीएचयू परिसर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। सुरक्षा की मुख्य कमान एसपीजी के हाथों में रही, जबकि स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी पल-पल की अपडेट लेते रहे।
पीएम मोदी ने हर हर महादेव, वणक्कम काशी और वणक्कम तमिलनाडु बोलकर अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने यूपी सरकार, तमिलनाडु सरकार, बीएचयू, आईआईटी मद्रास और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को इस भव्य आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है। इसलिए काशी तमिल संगमम् अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है। एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है, तो दूसरी और, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है। पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु का प्राचीन काल से संबंध हैं। इसका प्रमाण काशी की गलियों में मिलेगा। यहां आपको तमिल संस्कृति के मंदिर मिलेंगे। हरिश्चंद्र घाट और केदार घाट पर 200 से ज्यादा वर्ष पुराना मंदिर है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। काशी तमिल संगमम इस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा।