मण्डल हेड गिरजा शंकर निषाद
जौनपुर – जिला चिकित्सालय में तैनात कुछ चिकित्सकों द्वारा चिकित्सालय में आए मरीजों को बाहर से दवाँ लिखने का बदस्तूर सिलसिला हैं जारी, जहाँ कमीशन खोरी के खेल में गरीब जनता की जेब पर डाला जा रहा है डाका, जिसके तरफ जिला स्वास्थ्य महकमें के आलाधिकारियों की नहीं जा रही हैं नजर, आखिर इस कमीशन खोरी के खेल पर कब और कैसे होगी कोई कार्यवाही जो अपने में हैं एक बड़ा सवाल? नगर के अमर शहीद उमांनाथ सिंह जिला चिकित्सालय में कुछ चिकित्सकों द्वारा मरीजों को कुछ दवाइयां अस्पताल के अंदर की लिखी जा रही हैं तो वही कुछ दवाँ बाहर की लिखी जा रही हैं। वही यह भी देखा जा सकता है कि दवाँ मंहगी होने के कारण बाहर से मरीज उन्हें खरीदने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। प्रदेश सरकार का जनपद चिकित्सालय जो नगर के बीचो बीच स्थित हैं जहाँ खूबसूरत इमारत तो मौजूद है। जो बाहर से देखने में जितनी खूबसूरत दिखाई देती है जिसके अन्दर की व्यवस्था उतनी ही बदसूरत नजर आती है। नगर के साथ – साथ जिले के दूर-दराज के क्षेत्र एवं तहसीलों के मरीजों को भी सबसे पहले इसी चिकित्सालय में लाया जाता है। जहाँ जिला चिकित्सालय में चिकित्सक तो मौजूद हैं जहां आए हुए बीमार मरीज चिकित्सक को दिखाने के लिए पहुंच रहें हैं, उन्हें चिकित्सकों द्वारा कुछ दवाईयां अस्पताल की तो कुछ दवाईयां बाहर की लिखी जा रही हैं। बाहर से खरीदी जाने वाली दवा कभी-कभी इतनी मंहगी होती है कि मरीज और उसके घर वाले अपना दिल मसोस कर रह जाते हैं। गरीब इस आस में सरकारी अस्पताल पहुचता है कि इलाज के साथ दवा मुफ्त मिलेगी लेकिन जिला अस्पताल में खुलेआम और बैखौफ होकर गरीबों की जेबें काटी जा रही है। चिकित्सक बाहरी मेडिकल स्टोर्स पर मिलने वाली ब्रांडेड और मंहगीं दवा का पर्चा मरीजों को थमा रहे हैं।*
*यदि समय – समय पर स्वास्थ्य महकमें सहित प्रशासनिक आलाधिकारियों द्वारा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करते हैं और चेतावनी भी देते हैं कि बाहर की दवा कतई न लिखी जाए। लेकिन हमेशा की तरह चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों पर कोई असर होता नजर नही आ रहा हैं। समय-समय पर सामाजिक संगठनों एवं अखबारों द्वारा प्रशासन को चेताया जाता हैं लेकिन हालत जस के तस बनी दिखाई देती हैं। अब तो हद ये हो गयी है कि सरकारी चिकित्सक सरकारी अस्पताल में बैठकर सादी पर्चा पर महंगी दवा लिखकर बाहर से ही लाने के लिए मरीजो पर दबाव बना रहे हैं। रोजाना सैकड़ों की संख्यां में मरीज जिला चिकित्सालय पहुँचते हैं। जिला चिकित्सालय के चिकित्सक सरकारी पर्चे पर नही, बल्कि एक छोटी सी पर्ची पर दवा लिखकर मरीजों को थमा देते हैं। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि सरकारी पर्चे पर लिखी दवा अगर बाहरी मेडिकल पर लिखी मिली तो चिकित्सकों पर आंच आ सकती है। इससे बचने के लिए सादे कागज का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही ये भी देखा जा रहा है कि चिकित्सक कक्ष में दवा लिखने के लिए अलग से व्यक्ति बैठाया जाता है ताकि अगर किसी आला अधिकारी का औचक निरीक्षण हो तो हैंडराइटिगं मिलान का खतरा न हो, बाहर से दवाईयां लिखने का ये गौरखधंधा बरसो पुराना है लेकिन अब इसने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है। अब ये लूट का धंधा खुलेआम चल रहा है। और इसके पीछे मोटे कमीशन का खेल खेला जा रहा है। इस प्रकार के मामलों की कई बार मरीजों द्वारा शिकायतें की गई लेकिन निरीक्षण कर स्वास्थ्य महकमा मामलें को ठंडे बस्ते में डाल देता है। चूकि जनपद के जिला अधिकारी मनीष कुमार वर्मा तेज़ तर्रार अधिकारी है और जिस प्रकार से उन्होनें बहुत ही कम समय में आम जनता की समस्याओं का निस्तारण कर लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई है लगता है अब जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा द्वारा ही जिला चिकित्सालय की गहनता से जाँच एवं औचक निरीक्षण करने पर इस प्रकार के कमीशन खोरी का भांडा फोड़ होगा जिसके बाद जिलाधिकारी द्वारा दोषी चिकित्सकों पर होगी कठोर कार्यवाही, कमीशन खोरी के चक्कर में दिन दहाड़े हो रही इस लूट को रोककर आम जनमानस को राहत पहुचाने का जरुर होगा कार्य। इस पूरे मामले के सम्बन्ध में जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अनिल कुमार शर्मा द्वारा बताया गया की मैं स्वयं जिला चिकित्सालय के एक एक ओपीडी कमरें का नृत्य दिन निरीक्षण किया करता हूँ मैं पहले ऐसी शिकायत पर खुद चिकित्सक का बाहर से लिखी हुई दवां का पर्चा पकड़ा था जिसके बाद मैने कार्यवाही किया था अब ऐसी किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं पाया हूँ आप लोगों द्वारा बताया गया है तो मैं ऐसे चिकित्सक के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम शासन को पत्राचार करूगा।