गोरखपुर:लखनऊ: निषाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री (मत्स्य विभाग) डॉ संजय कुमार निषाद ने अपने सरकारी आवास पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बीते कई दिनों से 17 जातियों के आरक्षण के मुद्दे पर कई प्रकार की भ्रंतिया सोशल मीडिया और विपक्षियों द्वारा फैलाई जा रही थी। संजय निषाद ने बताया कि पहले तो वह यह स्पष्ट करना चाहते है कि निषाद, केवट, मल्लाह, बिंद, कहार, कश्यप, धीमर, रैकवार, तुरैहा, बाथम, भर, राजभर, धीवर, प्रजापति, कुम्हार, मांझी, मछुआ 17 जातियों का है, क्योंकि कई दिनों से 18 जातियों की भ्रांतियां फैलाई जा रही है।
संजय निषाद ने बीते मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण से 17 पर्यायवाची जातियों को पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित में शामिल करवाने को लेकर मुलाकात हुई। माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार पर समाज कल्याण मंत्री से कल विस्तृत चर्चा हुई, और एक सफ्ताह के अंदर निषाद पार्टी और समाज कल्याण मंत्रालय उत्तर प्रदेश, एक ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजेगें।
श्री निषाद जी ने बताया कि कल उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया कि हमारा मामला एक्सप्लेनेशन ( परिभाषित ) करने का है। जैसे क्रमांक-18 में बेलदार, क्रमांक- 36 में गोड़, क्रमांक.-53 में मझवार, क्रम-66 में तुरैहा हैं जो मछुवा समुदाय की कहार कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, रैकवार, धीवर, बिन्द, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी, मछुवा उपजातियां क्रम सं.-18. बेलदार के साथ बिन्द, क्रम सं.-36. गोंड़ के साथ गोड़िया कहार कश्यप, बाथम क्रम सं.-53. मझवार के साथ मल्लाह केवट मांझी, निषाद मछुवा व क्रम सं.-66. तुरैहा के साथ तुरहा, धीमर, धीवर, क्रम सं. 59 पासी तरमाली के साथ भर, राजभर व क्रम सं.-65 में शिल्पकार जो कुम्हार,प्रजापति की पर्यायवाची उपजातियों को परिभाषित किया जाना है, किन्तु पूर्व की सरकारों ने मामले को उलझाने के लिए इन जातियों को परिभाषित करने की बजाय अलग से शामिल करने पर जोर दिया क्योंकि राज्य सरकार के पास अधिकार ही नही है किसी भी जाति को पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित में डाल सके तो किस आधार से मुलायम 2005 में और अखिलेश 2016 मे आरक्षण की अधिसूचना जारी करते आये है।