मण्डल हेड गिरजा शंकर निषाद
मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर) । मछलीशहर तहसील क्षेत्र के परगना मुंगराबादशाहपुर के सरोखनपुर गांव में बंजर एवं तालाब खाते की वेशकीमती आराजी पर किए जा रहे अवैध कब्जे के प्रकरण में उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप करने के बाद अंततोगत्वा सम्बन्धित लेखपाल लालचंद श्रीवास्तव की प्रथम दृष्टया संलिप्तता स्पष्ट होने पर निलम्बित कर बलि का बकरा बना दिया गया । यदि देखा जाए तो आराजी संख्या 53, 55 क ,55ख , 56,58 में कतिपय लोगों द्वारा राजस्व अभिलेखों में कूटरचित ढंग से अपने नाम दर्ज कराने तथा तालाब खाते की आराजी पर अवैध कब्जा करने को लेकर उक्त गांव निवासी धनराज यादव द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत संख्या 92219400020837 दर्ज कराई थी ।जिसकी जांच आख्या में लेखपाल लाल चंद श्रीवास्तव ने शिकायतकर्ता से आपसी रंजिश करार दिया गया था । जिसे लेकर उक्त गांव निवासी धनराज यादव एवं सुनील कुमार सिंह पुत्र राजेंद्र सिंह ने उपजिलाधिकारी मछली शहर से लेकर जिलाधिकारी, आयुक्त वाराणसी मंडल, के साथ ही अन्य उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया। सूत्रों की मानें तो उक्त आराजी पर किए जा रहे अवैध कब्जे की सूचना मिलने पर पुलिस बल एवं राजस्व कर्मियों के साथ मौके पर पहुंची एसडीएम मछली शहर ज्योति सिंह ने उक्त आराजी पर किए जा रहे कब्जे को रोक दिया । सूत्रों की मानें तो एसडीएम के वापस लौट जाने के बाद सम्बन्धित लेखपाल लाल चंद श्रीवास्तव द्वारा कब्जा करने वाले के साथ बंद कमरे में गुफ्तगू कर सौदेबाजी कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया । जिसे लेकर शिकायत कर्ताओं ने अपर जिलाधिकारी भू राजस्व को प्रार्थना पत्र देकर हस्तक्षेप करने की मांग की । जिसे गंभीरता से लेते हुए अपर जिलाधिकारी भू राजस्व ने तालाब खाते की आराजी को खाली कराने का निर्देश दिया । सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी कहां तक सत्य है यह तो जांचोपरांत ही सामने आयेगा । फिलहाल इतने बड़े रकवे पर अवैध कब्जा कराना केवल एक लेखपाल के लिए संभव नहीं है ।इस आराजी पर अवैध कब्जा कराने में और भी लोगों की संलिप्तता निश्चित तौर पर होगी । फिलहाल एसडीएम मछलीशहर ने सम्बन्धित लेखपाल लाल चंद श्रीवास्तव को तत्कालिक प्रभाव से निलम्बित कर भले ही बलि का बकरा बनाया हो लेकिन अभी और लोगों के ऊपर गाज गिर सकती है । बहरहाल एसडीएम की इस कार्रवाई से लेखपालों में न केवल हड़कंप मच गया है अपितु उन्हें अब फूंक फूंक कर कदम रखना होगा ,अन्यथा और भी लेखपालों को बलि बेदी पर चढ़ निलम्बन झेलना पड़ सकता है ।