जौनपुर इंडिया में करीब 72.9 मिलियन लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं ।इसका मतलब यह हुआ की डायबिटीज से पीड़ित दुनिया के करीब 17% पर्सेंट आबादी इंडिया में रहती है ।यानी दुनिया का हर छठा डायबिटीज पेशेंट एक इंडियन है ।दुनिया भर में करीब 140 मिलियन मुस्लिम डायबिटीज से पीड़ित हैं ,जिनमें से शायद 116 मिलियन रमजान में रोजे रख रखेंगे ,ऐसे में एक डायबिटीज पेशेंट के लिए प्रैक्टिकल गाइडलाइंस की अहमियत बहुत बढ़ जाती है ।थोड़े से एहतियात बरतने से रमजान के पावन माह में उपवास रखकर बड़े मजे से रमज़ान में सबाब बटोराऔर अर्जित किया जा सकता है।
*रमजान में रोजे रखने वाले डायबिटिक पेशेंट से जुड़े अहम मुद्दे क्या होते हैं?*
डायबिटीज सबसे महंगी और खतरनाक बीमारी है ।इसीलिए रोजा रखने से कम से कम 15 से 20 दिन पहले डॉक्टर से संपर्क जरूर कर लें ।आमतौर पर पेशेंट यह मान लेता है कि वह खानपान पर कंट्रोल रख रहा है ।अपना शुगर लेवल भी चेक कर आया है ,और सब कुछ ठीक है फिर भी ,डॉक्टर से मिलना चेकअप कराना जरूरी है ।क्योंकि कई परसेंट रोगी स्वयं ही निर्णय लेने लगते है ,जो कि खतरनाक हो सकता है ।आज की भागदौड़ की जिंदगी में लोग अपने अपने टारगेट के पीछे भाग रहे हैं ।इस बात को महत्व देना जरूरी है कि क्या खाना है और कितना खाना है कैसा खाना है ,ताकि उनका शुगर कंट्रोल में रहे ,रोजा रखने वाले के लिए यह समान रूप से महत्वपूर्ण है।
*क्या टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट की खानपान की आदतें उसकी परेशानियां बढ़ा सकती हैं*?
खानपान की आदतें महत्वपूर्ण हैं ।खाना ऐसा हो जिसे आप शुगर कंट्रोल में रहे बाहर से बनी चीजें ना खाएं ,इसके अलावा ऐसा कोई भी फूड ना लें ।जिसके कारण आपका शुगर और वजन बढ़ता हो ,ऐसे हर प्रकार के भोजन को बाय बाय बोल दें।
*उन पेशेंट को क्या सलाह देते हैं जो इंसुलिन की मदद लेते हैं*?
हर पेशेंट का डायबिटीज अलग अलग होता है ।जिनको इंसुलिन लगती है ,वे अवश्य चिकित्सक से मिलकर इंसुलिन के डोज़ को सेट करवाएँ ।यह पूरा डायबिटीज कंट्रोल के लिए बेहद जरूरी है ।शुगर कम होना
ज़्यादा होने से अधिक खतरनाक है । शुगर कम होने पर ज्यादा जोर हृदय पर पड़ता और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।अरिथमिया होसकता है ।ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।
*रोजे रखने वाले टाइप टू डायबिटीज पेशेंट को आप क्या सलाह देंगे*
यदि हम बात करें टाइप टू डायबिटीज पेशेंट की तो इसमें 99% परसेंट आते हैं रमजान से पहले अपने शुगर लेवल को कंट्रोल कर ले ।खाना ऐसा हो जिससे आप इसे कंट्रोल में र खें ।फाइबर वाली चीजें ज्यादा ले ,रसदार फल कम ही लें ।जूस की बजाए सूखे फल का प्रयोग अधिक करें ।सूप लेने से ज्यादा लाभ देखा गया है ।दवाइयों एवं खानपान एवं व्यायाम के समन्वय से शुगर के रोगी रमजान में स्वस्थ रह सकते हैं ।एवं अपने मधुमेह को नियंत्रित रख सकते हैं अनियंत्रित मधुमेह एवं उससे पैदा हुई गंभीर बीमारी के रोगी उपवास न रखें तो ही बेहतर है।
*रेगुलर एक्सरसाइज करने वाले डायबिटीज पेशेंट को रमजान के लिए क्या सलाह होगी
आप इस बात का ध्यान रखें कि बहुत हार्ड (कठिन )कसरत एक्सरसाइज न करें ।बल्कि बेहद सामान्य स्तर की एक्सरसाइज करें ।मॉर्निंग वॉक जॉगिंग आदि कर सकते हैं ।ऐसा एक्सरसाइज नुकसान करता है ,जिससे शरीर पर ज्यादा जोर पड़ता है ।आप अपनी क्षमता को भी जरूर जाने ।
क्या रमजान के दौरान दवा बदलनी पड़ती है
यदि ब्लड शुगर नियंत्रित है ,तो सावधानीपूर्वक खानपान पर ध्यान ही शुगर नियंत्रण में काम आता है ।दवाइयों की मात्रा आप काम या एकाद मीटिंग छोड़ सकते हैं ।यदि समुचित भोजन नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि शुगर का कम होना ज्यादा होने से ज्यादा खतरनाक है।
रमजान के दौरान रोजे रखने वाले डायबिटीज पेशेंट को क्या जरूरी मैसेज दिया जाना चाहिए
रमजान के दौरान रोजे रखने वाले रोगी ,जिनका शुगर लेवल कंट्रोल में है या नहीं इसे मान लेने के बजाय अपना शुगर जरूर करा ले ।अपने चिकित्सक से परामर्श कर ले। शुगर लेवल को कंट्रोल में ही रखें ऐसा खाना कतई न ले जिसके कारण आपका वजन बढ़ता हो इसके अलावा या ध्यान दें कि शुगर लेवल बढ़ने से ज्यादा इसका घटना ज्यादा खतरनाक होता है । इस कॉन्फ़्रेन्स में डॉ मधु शारदा (आईवीएफ इनफर्टिलिटी) स्पेशलिस्ट, डॉ अशोक पटेल (फिजीशियन), डॉक्टर रोबिन सिंह( हड्डी रोग विशेषज्ञ) ,डॉ काशीफ ,डॉक्टर आई.डी सिंह संदीप सिंह , गगनेंद्र सिंह (मैनेजर,) कृष्णा हार्ट केयर के डायरेक्टर सुमन सिंह , आदि लोग उपस्थित थे!