रणजीत जीनगर की रिपोर्ट
पिंडवाड़ा:-कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ये करके दिखाया है अरावली के पहाड़ों में बसी हुई विरान जगह है जहाँ आज भी सुविधाओं का अभाव है। सिरोही जिले के ग्राम पंचायत घरट कि उपली उबरिया फली में निवास कर रही पूरी बाई कि यह कहानी है पुरी बाई ने बताया कि हम जहाँ निवास करते हैं वहाँ पीने किं पानी कि बहुत बड़ी समस्या थी। एक हैण्डपम्प था वो भी 2 से 3 किमी दूर पहाड़ पार करके छोटे बच्चों को गोद में लेकर लाना होता था। जिससे आर्थिक व स्वास्थ्य को लेकर बड़ी परेशानी होती थी। मेरे फली में लगभग 30 घर निवास करते हैं यह समस्या सबके साथ थी ।
*C.M.F. संस्था ने साथ निभाकर दिलाई हिम्मत*
पूरी बाई ने बताया कि एक दिन सेन्टर फॉर माइक्रोफाइनेंस (टाटा ट्रस्ट्स) संस्था प्रतिनिधि आये उन्होने बताया कि आपकी फली में हमारी संस्था पानी पीने का प्रबंध करानी चाहती है अगर आप सब का साथ रहेगा तो। संस्था प्रतिनिधी ने हमारी फली के 8-10 लोगों को सूचना देकर ‘मिटींग बुलवाई सभी फली वासियों संस्था व फली वासियों के साथ पेयजल कार्य करने हेतु सभी नियमावली बताई फली की महिलाओं ने बाद में उक्त संस्था के बारे में अपने परिवार में बताया परन्तु फली में मौजूद कुछ पुरुष मना करने लगे। मेरे घर वाले तो नाराज हो गये कि बाहरी लोगों पर भरोसा नहीं करना। लेकिन मैंने हार नहीं मानी क्योकि पानी लाने कि बड़ी समस्यो का सामना महिलाओं को झेलनी पड़ती है। मैंने वहाँ बैठक का आयोजन करवाया सभी की सहमती से कागजी कार्यवाही को पूरा करवाया ।
*पहाड काट कर पगडंडी को बदला रास्ते में*
पुरी बाई ने बताया कि कागजी कार्यवाही के बाद वहाँ कंट्रक्शन का कार्य शुरू किया गया। धीरे-धीरे 24 घरों को पानी कनेक्शन हेतू जोड़ा गया। पानी की टंकी इत्यादि बनने के लिए सामान आना शुरू हुआ परन्तु 2 कि.मी. दूर ही गाड़ीया रुक जाती क्योंकि बड़े वाहन आने के लिए रस्ता नही था। पक्की सड़क से कंधे पर लाद कर सामान लाना पड़ा। अब पानी का बोरवेल खोदने हेतू बड़ी गाड़ी को फली में लाना था। परन्तु फली में आने के लिए रास्ता केवल पगडण्डी जैसा था। इसलिए गाड़ीयो ने फली में आने हेतू मना कर दिया गाड़ी वालों का कहना था की बड़े वाहन है इसलिए रास्ता बड़ा लगभग 12 से 15 फिट का होगा तभी गाड़ी आयेगी। सभी फली वासियों ने हिम्मत हार दी कहाँ कि अपनी किस्मत में पानी की सुविधा लिखी हि नहीं है। संस्था वालों ने भी कह दिया कि रास्ता होगा तभी गाड़ी आ पाएगी नहीं तो स्कीम दूसरी जगह स्थानान्तरण करना पड़ जायेगा | बाद में फली में जो जल उपभोक्ता समूह का गठन हुआ था। उसकी आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में रास्ता बनाने के लिए एजेंडा रखा। बैठक में बात रखी की सड़क सरकार नहीं तो हम खुद अपने हाथों से बनायेंगे। अगले दिन सभी महिलाओं ने हिम्मत दिखाकर फावड़ा, गेंती तगारी रोड़ लेकर पूरे ताकत के साथ रास्ता बनाने में जुट गये। मात्र 20-25 दिन मे रास्ता चौड़ा कर दिया। जिसके बाद बोलवेल की गाड़ी आ पाई और आखिरकार बोरवेल खुदा। आज सभी के घरों में पानी संबंधी कोई समस्या नहीं है। सभी का स्वास्थ्य पहले से अच्छा रहता है।
*WUG के साथ जेजेएम और आईओटी ने जुड़कर राज्य की पहली इंटरनेट योजना की घोषित*
सभी 24 घरों में पानी कि सुविधा होने के बाद में हमारी स्कीम से इंटरनेट ऑफ थिंग्स और जल जीवन मिशन भी जुड़े जिन्होंने हमारी स्कीम में सेंसर लगवायें । जिसमें पानी की मात्रा, गुणवत्ता की प्रतिदिन जाँच होती है और डेटा केंद्र में जल मंत्रालय को सीधा ऑनलाइन रिपोर्ट होता है। ऐसी योजना देश में चुनिंदा है और राजस्थान की एक मात्र योजना हमारे यहां स्थित है। कुछ वर्षों पहले हमारे फली में स्थानीय नेता भी नहीं आते थे आज हमारी पेयजल योजना को देखने के लिए बड़े बड़े IAS RAS अफसरों के साथ साथ कही प्रशासन के अधिकारी एवं नेता देखने और निरक्षण करने आते है।