ज्योतिषाचार्य से जानें सही समय और पूजा- करने कि विधि
मण्डल हेड गिरजा शंकर
जय प्रकाश की कलम से,
इस वर्ष मकर संक्रांति की तारीख को लेकर बड़ा ही उलझन है. कुछ लोग 14 जनवरी को तो कुछ लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति का दिन बता रहे हैं. इस बार की मकर संक्रांति को लेकर ऐसी उलझन आपके भी दिमाग में है, तो परेशान न हों. आपकी उलझन हम यहां सुलझा रहे हैं. आपको बता रहे हैं कि आप मकर संक्रांति किस दिन मना सकते हैं. दरअसल सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस समय सूर्य की मकर संक्रांति मानी जाती है. हिन्दू धर्म में स्नान दान के लिए उदयातिथि मान्य होती है. इस बार मकर संक्रांति का समय स्थान को ध्यान में रखकर देखा जा रहा है, तो अलग-अलग आ रहा है. आइए जानते हैं इसके बारे में.मकर संक्रांति 2022 का पुण्य काल ज्योतिषाचार्य अनुसार, 14 जनवरी दिन शुक्रवार की रात 08:49 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा. इस स्थिति में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. 15 जनवरी को ही स्नान-ध्यान, दान-पुण्य आदि करना अच्छा रहेगा.
मकर संक्रांति पर क्यों चढ़ाते हैं खिचड़ी, जानें इसका महत्त्व
वहीं, दृक पंचांग के अनुसार, दिल्ली को आधार मानकर देखा जाए तो इस साल की मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है और यह शाम 05 बजकर 45 मिनट तक है. ऐसे में सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर ही हो रहा है. इस आधार पर मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनानी चाहिए.
अब स्थान आधारित पंचांग देखने पर पुण्य काल अलग अलग प्राप्त हो रहा है. इस वजह से ही मकर संक्रांति की तरीख को लेकर लोगों में उनझन की स्थिति बनी हुई है. हालांकि ज्योतिषाचार्य दोनों ही दिन को ठीक बता रहे हैं. ऐसी स्थिति में आपके स्थान पर पंचांग अनुसार मकर संक्रांति का जो पुण्य काल मान्य हो, उस आधार पर 14 जनवरी या 15 जनवरी में से किसी भी दिन मकर संक्रांति मना सकते हैं।
14 जनवरी को 29 साल बाद दुर्लभ संयोग
इस साल 14 जनवरी को 29 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है कि सूर्य और शनि ग्रह एक साथ मकर राशि में होंगे. ऐसा योग 1993 में बना था ।
मकर संक्रांति के दिन पूजा कैसे करें ।
मकर संक्रांति के दिन वैसे तो पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है लेकिन यदि ऐसा संभव न हो तो इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. लाल फूल और अक्षत चढ़ाएं. सूर्य बीज मंत्र का जाप करें. इस दिन गीता पाठ करना भी विशेष फल देने वाला होता है.