महराजगंज लगातार हो रही घटनाएं खुलेआम हो रही पंचायत शर्मसार हो रही वर्दी ।
तस्करो और घूसखोर अफसरों के आगे कानून बना बौना।
ना वर्दी धारियों के बिकने का कोई दर, न तस्करों को कानून का कोई भय बोर्डर से शहर और शहर की सड़क पर खुलेआम गदर।
मामला महाराजगंज के तहसील क्षेत्र निचलौल का है मटर और मक्के की तस्करी सिस्टम और सरकार के सच को नगा कर दिया है।
कानून तो ऐसा है जैसे की तस्करों की जेब की नोट हो और इस क्षेत्र में अफसर ऐसे हैं जैसे की बिकाऊ बैल।
जो आए दाम लगाए और अपने दरवाजे पर बांध ले जाए।
पिछले एक सप्ताह से जिस तरह तस्कर और अफसरों ने बोर्डर से शहर और शहर से सड़क तक
जो तस्करी का नगा खेल खेला है उससे तो आम जन के समक्ष यही साबित हो रहा है की अब कोई कुछ भी कहले कानून का नही तस्करो और तस्करी की भ्रष्ट्र अकुंठ में डूबे सिस्टम का इकबाल बुलंद है।
एक दिन तस्करों की गाड़ी सिंदुरिया थाने के आस पास एआरटीओ रोकते हैं और चार पहिया वाहन में बैठ कर आए तस्कर एआरटीओ के चालक को अगवा कर कनाडियन मटर से भरी पिकप गाड़ी उड़ा ले जाते हैं।
समाचार पत्रों में सुर्खिया छपती हैं और एआरटीओ चुप हो जाते हैं कोई कार्यवाही नहीं होती है पूरे जनपद में चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है।
पता चलता है की मामला वसूली का है लगातार एआरटीओ गाडियां तो पकड़ते थे लेकिन मोल भाव कर छोड़ देते थे आज बात नही बनी तो तस्कर अपने गुंडई पर आ गए और धमकी के साथ एआरटीओ के ड्राइवर को अगवा कर अपनी गाड़ी छुड़ा ले गए।
वही दूसरा मामला निचलौल के चमनगंज पुल से आता है जहां खुद तस्कर एक मक्का और मटर से लदी पिकप को रोकते हैं और ड्राइवर को पीटते हैं फोन कर एसएसबी, पुलिस और कस्टम को सूचना देते हैं मौके पर तीनो एजेंसियां पहुंचती हैं और गाड़ी को पकड़ कब्जे में ले लेती हैं।
कोई बड़ा खुलासा या कार्यवाही नही होती है पुनः एक दिन इंतजार के बाद कनाडियन लदी पिकप तस्कर निचलौल के ही बरगदवा में रोकते हैं और ड्राइवर को पकड़ पीटते हैं पिकप का शीशा तोड़ देते हैं
सूचना पर पुलिस पहुंचती है और पिकप को पकड़ थाने लाती है यह सब होता रहता है और कनाडियन मटर की तस्करी पिकप से इसी बीच अंधाधुंध भी होती रहती है।
जिसके बाद तस्करों संग थाने में बैठक की जाती है और मामला सुलह समझौते की ओर बढ़ता है और कानून बौना होती दिखती है।
पंचायत के दौरान खुल कर सामने आता है की छोटे तस्करो को अफसर तस्करी करने नही देते थे और बड़े तस्करों से मोटी रकम लेकर तस्करी की खुली छूट दिए हुए थे जिससे नाराज छोटे तस्कर तस्करी वाली वाहनों को अपना शिकार बना लेते हैं।
तस्करी नही करने देने की कसम खा कर एक नामचीन बड़े तस्कर की गाड़ियों को अपना शिकार बना लेते हैं जिसके बाद सभी एजेंसियों सहित इस इलाके के अफसर हैरान हो जाते हैं।
जिनकी बैठक खुलेआम आहुति की जाती है और सुलह समझौता कराया जाता है।
जिससे यह स्पष्ट हो जाता है की तस्कर जो चाहते हैं देश की एजेंसियों से जुड़े अफसर वह करते हैं ।
जिससे तस्करों और भ्रष्ट अफसरों का इकबाल बुलंद होता है कानून इनके आगे शर्मसार है।
इस इलाके में सरकार से नियुक्त सरकारी नुमाइंदे और कानून तस्करो की जेब की नोट में अपनी वर्दी, पद, हैसियत, और कानून खुलेआम बेझिझक बेचते हैं।
जिन्हे न तो किसी का डर है और नही भय और कानून बेकार हफ्ता घिसता दिखता है।