कठूमर।दिनेश लेखी। हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक या धार्मिक अनुष्ठान शुभ मुहूर्त देखने के बाद ही किया जाता है। ज्योतिष में ग्रह और नक्षत्रों की गणना के आधार पर शुभ मुहूर्त देखा जाता है।
“आचार्य यशेश” के अनुसार जब खरमास या मलमास लगता है तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी होती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान नहीं करता है। तो वहीं ज्योतिष में भी खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस बार सूर्य 16 दिसंबर 2021 से धनु में प्रवेश कर रहे हैं। इस दिन से ही खरमास आरंभ हो जाएगा जो 14 जनवरी 2022 तक रहेगा। इस दिन के बाद पुनः मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार, कैसे लगता है खरमास और इस माह में कौन से कार्य माने गए हैं वर्जित।
ऐसे लगता है खरमास-
ज्योतिष के अनुसार, नौ ग्रह बताए गए हैं, इनमें से राहु-केतु को छोड़कर सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। सभी ग्रह वक्री और मार्गी दोनों चाल चलते हैं, लेकिन सूर्य एक ऐसा ग्रह है जो सदैव मार्गी रहता है व हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इसी तरह जब सूर्य बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो बृहस्पति का तेज समाप्त हो जाता है। बृहस्पति को विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। इसलिए सूर्य के बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करने पर खरमास लगता है। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। धार्मिक मान्यता है कि खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी होती है इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
खरमास में इन कार्यों को करना रहता है वर्जित-
धार्मिक और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, खरमास को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए इस माह के दौरान कोई भी शुभ, मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान हिंदू धर्म में बताए गए संस्कार, जैसे मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, नामकरण, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ, वधू प्रवेश, सगाई, विवाह आदि कोई भी कार्य नहीं किया जाता है।
साल में दो बार लगता है खरमास-
ज्योतिष के अनुसार, साल में दो बार खरमास लगता है। जब सूर्य मार्गी होते हुए बारह राशियों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो इस दौरान बृहस्पति के आधिपत्य वाली राशि धनु और मीन में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो खरमास लगता है। इस तरह से मार्च माह में जब सूर्य मीन में प्रेवश करते हैं तब खरमास लगता है तो वहीं दिसंबर में जब सूर्य धनु में प्रेवश करते हैं तब खरमास लगता है। इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है। खासतौर पर जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिए।
खरमास में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब मासों का विभाजन हो रहा था तब खरमास उदास हो गया था कि उसे लोग अशुभ मानेंगे। भगवान विष्णु ने तब खरमास को समझाया कि खरमास का महीना पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाएगा और जो भी मनुष्य इस समय भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा आराधना करेगा उसके पाप क्षय हो जाएंगे।
खरमास का अर्थव्यवस्था से संबंध
व्यवहारिक दृष्टि से भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और यहां की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर निर्भर करती है। खरमास ऐसे समय में आता है जब लोग एक फसल को तैयार करके घर में लाते हैं और दूसरी फसल की तैयारी करते हैं। इसलिए इस दौरान सांसारिक कार्यों को करने से कृषि कार्य बाधित हो सकता है इसलिए लोग इस महीने में सांसारिक कार्यों पर विराम लगाकर भविष्य की तैयारी करते हैं जिनमें धनोपार्जन से लेकर मोक्ष प्राप्ति तक की तैयारी शामिल रहती है।