अमित कुमार की रिपोर्ट
गोरखपुर।सुरक्षित गर्भ समापन केवल अधिकृत अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सक से ही करवाना चाहिए और उसके बाद परिवार नियोजन का कोई न कोई साधन अवश्य चुनना चाहिए । ऐसा न करने से दोबारा गर्भधारण की आशंका प्रबल होती है और यह स्थिति मां की सेहत के लिए खतरनाक होती है । मातृ मृत्यु दर को कम करने में सुरक्षित गर्भ समापन की अहम भूमिका होती है और यह महिला का विधिक अधिकार भी है । यह जानकारी सुरक्षित गर्भ समापन सेवा के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने दी । उन्होंने बताया कि जिले में 33 निजी अस्पतालों को ही सुरक्षित गर्भ समापन की अनुमति है । जिला महिला अस्पताल, प्रथम संदर्भन इकाइयों और उन सभी सरकारी अस्पतालों पर सुरक्षित गर्भ समापन की सुविधा उपलब्ध है जहां प्रशिक्षित चिकित्सक हैं ।
नोडल अधिकारी ने बताया कि देश में आठ फीसदी माताओं की मौत केवल असुरक्षित गर्भ समापन के कारण हो जाती है। जानकारी के अभाव में और कई अन्य कारणों से भी महिलाएं या उनके अभिभावक अप्रशिक्षित व्यक्ति से गर्भ समापन का प्रयास करते हैं जो उनके जीवन के लिए हानीकारक साबित होता है। गर्भ समापन सिर्फ प्रशिक्षित चिकित्सक ही करते हैं। किसी भी अन्य स्वास्थ्य कर्मी, स्टॉफ नर्स या पैरामेडिकल को यह करने का अधिकार नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से अनुमति के बाद ही कोई निजी अस्पताल यह करने के लिए अधिकृत है। प्रशिक्षित चिकित्सक की उपलब्धता वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी 12 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी की स्थित में सुरक्षित गर्भ समापन की सेवा दे सकते हैं।
डॉ सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करने के लिए आईपास संस्था के प्रतिनिधि श्वेतांशु समय-समय पर प्रशिक्षण देते हैं।
इन परिस्थितियों में है अधिकार महिला मानसिक तौर पर विक्षिप्त हो बच्चे में कोई ठीक न होने वाले विकृति हो रेप से हुई प्रेग्नेंसी परिवार नियोजन के साधन विफल होने पर वैवाहिक स्थिति में बदलाव
अल्प वयस्कता में प्रेग्नेंसी