ब्यूरो चीफ शमीम अंसारी की विशेष रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने मदरसों की हालत सुधारने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना चलाई है। इसके तहत दीनी तालीम के साथ ही दुनियाबी तालीम भी दी जाती है। हिदी, अंग्रेजी, गणित और साइंस,कम्प्यूटर आदि विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक लगाए गए हैं। प्रदेश भर में 25500 शिक्षक हैं। स्नातक शिक्षकों को आठ हजार रुपये मानदेय मिलता है। इसमें दो हजार प्रदेश सरकार और छह हजार केंद्र सरकार देती है। परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार मानदेय मिलता है। इसमें बारह हजार केंद्र सरकार और तीन हजार प्रदेश सरकार देती है। प्रदेश सरकार अपने हिस्से का मानदेय तो दे रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने पांच साल से मानदेय नहीं दिया है। इससे मदरसा शिक्षकों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।
एक तरफ सरकार कहती है मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान तो दूसरे में कंप्यूटर होगा यह महज जुमला साबित हो रहा है जहाँ साइंस और कंप्यूटर पढ़ाने वाले अध्यापकों को 5 साल से फूटी कौड़ी नहीं मिली है।
बताते चलें कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही थी।लेकिन अब 2021-22बजट सत्र से अब इसे अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। ज्ञात हो कि बजट सत्र 2017 से 2021 तक का मानदेय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नहीं दिया है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 8584 आच्छादित मदरसों में कार्यरत 25500 शिक्षक हैं।जबकि प्रदेश सरकार अपनी ओर से राज्यांश निरंतर दे रही है।ऐसी स्थिति में शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इस संबंध में कई आला अफसरों और मंत्रियों को भी अवगत कराया। लेकिन अभी तक मानदेय नहीं मिल सका है।